Paper in Poems

Paper: So obvious, so simple, so plain... You can write anything on it. Yes. You can write poems on it too. But, are there some poems that carry paper in their heart? Following is a collection of poems giving space for paper within these. Please do have a look-

कागज़
(some small poems, one liners etc. Many copied from internet, just a few written by me.)


मां शारदे कवि कंठ को,अपनी कृपा रस धार दे।

मेरे गीत,ग़ज़ल औ छंदों को,अपना सुघड़ श्रृंगार दे।।

काग़ज़ #कलम स्याही तो है,पर भाव शब्दाभाव है

साहित्य #सागर में सरस्वती,आपके बिन नाव है

इस शब्द #सागर से मुझे मां,सीपियां अनमोल दो

कटुता भरी वाणी मेरी, इसमें #सरस रस घोल दो

(Twitter, सागर, @sagardy977367)


मैं कागज हूँ..

कभी नाव बनकर बचपन सा बहता,

कभी हवाई जहाज बनकर ख़्वाबों में रहता.. 

मैं कागज हूँ..

कभी मैं हूँ, जैसे किसी राही कि डायरी,

मुझ पर ही लिखी गई साहित्य कि शायरी..

मैं कागज हूँ..

लिख दो तुम भी अपनी कहानी थोड़ा सा,

वरना रह जाऊगाँ मैं कागज, कोरा सा..।।

(Twitter, Shree, @Vatsal_05)


कलम से

बिखरते रहे

निरंतर शब्द..

कोरे कागज पर

एक एक कर

ढलते रहे,

सफर बडा

कठिन है

साहित्यिक यात्रा का...

कलम चलती रही

और हम भी

चलते रहे..!

(Twitter, Jain Rajendra Gulechha, @RGulechha)


एक ही मुज़्दा सुब्ह लाती है

धूप आँगन में फैल जाती है

रंग-ए-मौसम है और बाद-ए-सबा

शहर कूचों में ख़ाक उड़ाती है

फ़र्श पर काग़ज़ उड़ते फिरते हैं

मेज़ पर गर्द जमती जाती है

(Twitter, साहित्य सागर, @sahityaasagar)


Dedicated to all paper professionals.

और क्या करते जतन जीवन बिताने के लिए

हम कागज़ बनाते हैं, कागज़ कमाने के लिए. (Self)


जो चल गया वो ही खरा है,

कागज़, सोने से नही डरा है। 


दर्द मेरा कागज पर बिकता रहा..

मैं बेचैन था, रात भर लिखता रहा. 


काग़ज़ पर कलम अक्सर लिख जाती है

वो हर बात जो कहनी नहीं आती हमको... 


छुपाकर किताबों में...   वो कागज़ के ख़त पढ़ना,

आज के ये डिजिटल ज़माने के आशिक क्या जाने? 


सीधे काग़ज़ पर नहीं

पहले मुझ तक आओ –

एक ज़रूरी कविता मैं भी हूँ ! 


लो छितरा दी मैंने कागज पर

मुट्ठी भर अक्षर, चुटकी भर संवेदना

समेट कर पढ़ लेना कविता !


कागज ऐसा चाहिए, जैसा नोट सुभाय ,

सार-सार को अंटी करो, थोथा देई उड़ाय

(भावार्थ: इस संसार में ऐसे कागज की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है। 

जो हरे गुलाबी नोटों को बचा लेगा और निरर्थक बाकियो को उड़ा ..)


कोई आँसू भी अगर काग़ज़ भिगो पाएगा,

पेपर का कॉब डेफिनेटली ज्यादा आएगा..  

(Papermakers know the significance of Cobb60 value of paper)


अनगिनत खयाल मेरे मन मे आते हैं

खुद ब खुद कागज पर उतर आते हैं.. 


उड़ने को बेताब दिल मेरा, कागज के जहाज़ जैसा

छोटे पंखों के संग देखता, लम्बी उङान का सपना 


   एक कागज जैसा दोस्त हो, एकदम सच्चा

   जिसके साथ दिखावा न हो

   जिसे बिना ग़लती के भी गालियाँ दे सको

   जिस पर कुछ भी लिख कर कह सको.


   जो आपको कभी जज न करे,

   जिसे बेझिझक हर समस्या बता सको

   जब कभी गुस्सा आए तो फाड़ दो,

   फिर, चिंदी चिंदी करके हवा में उड़ा सको.


   जिसके साथ हँस सको और रो भी

   जो पेन के समक्ष हरदम हाजिर हो,

   पोछ सको जिस से अपने आंसू भी

   अपनी नाक भी और अपना मुंह भी.


   जिसमें लपेट सको अपना कुछ सामान

   जो पहुंचा सके आपके दिल का पैगाम,

   जिसमें छुप सके आपकी भावनाएं

   जो आपके हस्त लेख को दिल से लगाए.


   लिख सको जिस पर अपने मन की बातें

   मन भर जाए तो फिर से मिटा सको,

   एक कागज जैसा दोस्त हो, एकदम सच्चा

   जिसके साथ दिखावा न हो. 


चाहो तो समुंदर बना लो, चाहे तो कश्ती बना लो,

मैं तो कोरा कागज हूं, जैसा चाहो, वैसा बना दो..


कभी खामोश सा रहकर हमने दर्द को संभाला

कभी "कागज से लिपट के" दर्द को लिख डाला. 


किसने कहा... नही आती है वो बचपन वाली बारिश,

तुम भुल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज की.. 


उदास भले ही बारिश का पानी आज........

कह दो उन मौहल्ले वाले से हम माहौल बनाने आ रहे है,

उम्र भले ही गुज़रे, उम्र भले ही गुजरे

हम कागज़ की कश्तियाँ लेकर फिर बचपन जीने आ रहे है। 


लकड़ी जल जाती है तो कभी फर्नीचर बन जाता है, किसी-किसी पेड़ की लकड़ी से सी कागज बन पाता है, परंतु फिर भी कागज की जुबान से ही पेड़, वनों के कटान की बात कह पाता है. 


किसी कागज पर लिखकर महफूज कर लो मुझे..

तुम्हारी यादाश्त से बाहर निकलता जा रहा हूँ मैं..! 


दो लफ्जों की जिंदगी, 

कागज में   सिमट आई।

क्योंकि birth  और  death certificate दोनों ही,

कागज पर छपते हैं मेरे भाई ।।
©Nitin Endlay, CPPRI, Saharanpur, 2021


मैं क्या बताऊँ... कैसी परेशानियों में हूँ...

टिशु पेपर की एक नाव हूँ, और पानियों में हूँ. 


आँसू ......

जब आँखों में कैद हो जाए

तो कागजों के रास्ते

बहने लगते है .... 


हम दोनो मिल के, कागज पे दिल के,

चिठ्ठी लिखेंगे,जवाब आएगा.

जवाब ना आया तो खबर ज़रूर आएगी...

कागज पे लिखी चिट्ठी अपना असर दिखाएगी.. 


हम कागज पे स्याही से हाल चाल बताते थे,

लाल रंग के पोस्ट बॉक्स में चिट्ठी डाल आते थे. 


चलो ना, फिर से इस बारिश में

कुछ काग़ज़ की कश्तियाँ बनाते हैं.

जो चीज़ हमें तकलीफ़ दे,

कश्ती में बिठा कर, उसे कहीं दूर बहाते हैं ! 


कागज़ की कश्ती से पार जाने की ना सोच,

चलते हुए तुफानो को हाथ में लाने की ना सोच.

दुनिया बड़ी बेदर्द है, इस से खिलवाड़ ना कर,

जहाँ तक मुनासिब हो, दिल बचाने की सोच.

कागज की कश्ती से पार जाने की सोचूंगा.

बड़े-बड़े तूफानों से एक बार टकराने की सोचूंगा.

तू मत डर दुनिया की बेदर्दी से ए दिल,

इस दुनिया को अपनी मुट्ठी में समाने की सोच. 


मेरे बचपन के दिन एक बार फिर से लौटा देना.

जिसे बारिश के पानी में बहा कर मुस्कुराते थे,

मुझे काग़ज़ की वो कश्ती ज़रा फिर से बना देना. 


बरसात बेहद हसीन होती है, यकीनन

पर कागज की कश्ती, ये नहीं मानती !!

उसे पसंद है बरसात के बाद

रुके हुए पानी पर सवारी करना.

हौले हौले से चलना, इठलाना

पानी से डरना कागज की कश्ती नहीं जानती. (Self)


जाने कितने आँसू रोता है

वह कतरा कागज का..

फिर भी समर्पित रहता है

चंद अल्फाज़ समेटने को .. 


रात ने स्याही क्या छिड़की

ओंस के बूँदो की तरह शब्द

काग़ज़ पे गिरने को तैयार...

बिना लिखी चिट्ठी खो जाएगी

अंधेरी रात तो गुज़र जाएगी

परंतु बात अधूरी रह जाएगी...

अधूरापन रहने न दीजिये...

अपने मन के भावों को प्रतिदिन,

कागज़ पर लिखा कीजिये. (Self)


कागज का यह लिबास बदन का रखे ख्याल

पानी बरस गया तो जिस्म से चिपक जाएगा

करेगा कोशिश पूरी, परंतु आप को बचाएगा

Paper Loves You. (Self)


कविता वो नहीं

जो काग़ज़ पे लिखी जाती है

कविता वो काग़ज़ की कश्ती है

जो ख़यालात की बारिश में

आपके अहसास की लहरों में

डगमगाती है, इठलाती है. (Self)


एक आंसू कोरे काग़ज़ पर गिरा....

और अधूरा ख़त मुकम्मल हो गया.

काश आपने मोबाइल मैसेज की जगह

मुझको अपने हाथ से खत लिखा होता,

आपका मैसेज अच्छा था वाकई बहुत

पर गलती से वह मुझसे डिलीट हो गया. (Self)


सच्चाई छुप नही सकती बनावट के उसूलो से ...

के खुशबू आ नही सकती कभी काग़ज़ के फूलों से 


कागज कभी भी बूढ़े नहीं होते.

उनके चेहरे पर झुर्रियां नहीं गिरती.

लोग लिखते रहते हैं कागज युवा होते रहते हैं.

लोग पढ़ते हैं, कागज वृद्धावस्था की ओर

धीरे-धीरे चलते हैं, चलते रहते हैं.

>>

और पहुंच जाते हैं फिर कभी

किसी पेपर मिल में रीसाइकिल होने के लिए,

फिर से एक बार नवजीवन जीने के लिए

>>

कागज़ों को भी भरपूर जीवन जीने दीजिये,

प्रयोग के पश्चात, रीसायकल कीजिये. (Self)


कितनी चमकदार है धूप

क्या ये आज कागज़ की सफेदी से

प्रतिस्पर्धा करना चाहती है? (Self)


हर कागज की किस्मत नही होती, किताब हो जाना

कुछ फ़क़त कश्ती बनकर बारिशों में तैर जाते है!! 


बारिश का मज़ा उससे पूछ,

जो कागज़ की कश्ती पर सवार बैठा है. 


कागज़ पे  कुछ इस तरह  सावन बरसा,

कतरा कतरा दिल का सारा हाल बिखरा 


मेरी टेबल के नीचे,

कागज की तमाम गोले,

मुड़े-तुड़े जो है पड़े...

उनका कागज चिल्लाता है.

कागज की बर्बादी पर

मुझ को डांट पिलाता है.

हां सुनी है चीख मैंने

अक्सर ऐसी कागज की.

अगर सुनी है तुमने भी

ना करो कागज की बर्बादी. (Self)


जख्मों पर कागज चिपकाना

कागज पर जख्म लिख जाना

कागज का युग युगांतर से है

जख्मों से रिश्ता बहुत पुराना.. (Self)


अक्सर कुछ शब्द ख़ुद ही कागज़ पर अपनी जगह तलाश लेते हैं, 

जैसे उन्हें पता हो कि उनको उस काग़ज़ पे उस जगह ही रहना है.

The world loves paper. Words too love paper. Do you? (Self)


व्हाट्सएप के मैसेज के जमाने में,

कागज़ पे खुशबू लगा कर,

चिट्ठी लिखने वाले की तलाश है.

कोरियर के इस दौर में

घंटी बजाने वाले डाकिए की तलाश है.

जन्मदिवस पर शुभकामनाओं के

मैसेज तो आते हैं अनगिनत, मगर

अब के बरस, एक ग्रीटिंग कार्ड

आपका, बस आने की आस है. (Self)


बार बार आता है काम, होता है रीसायकल

कागज़ सफ़ेद हो, या फिर हो रंगीन

खुरदुरा हो, चिकना हो, बहुत मोटा हो,

या हो भले ही बहुत सॉफ्ट, बहुत महीन. (Self)

(Each and every paper can be recycled after use, except for one grade- Guess it. I can bet, if you guess correctly, there'll be a pretty smile on your face.) 


 कागज़ की नाव भी कुछ सिखाती है!

शान्त बहते पानी में वो भी चलती जाती है!

डूबोने को तो अथाह समुद्र है आस पास!

 लेकिन उस शान्त पानी की तलाश में

  वो भी तेज़ लहरो से लड़ती जाती है. (Self)

When did you make a boat from PAPER last time? Try it now. 


   कागज की नाव

नदी पार नहीं कराती

         परंतु...

    कागज की नाव

  नदी, नाले, तालाब,

      झील, सागर

  पार करने के सपने

 अवश्य पूरे कर देती है. (Self)

Make a paper-boat this monsoon. 


कागज की नाव से नदी पार नहीं होती

लेकिन उसी कागज पर लिख कर

विचारों को प्रवाहित किया जाये

तो चिंता की वैतरिणी को भी

पार किया जा सकता है। (Self)

Use paper to write and flush off your worries. 


तुमने देखा ही नहीं

उनका करिश्मा साहेब,

नाव काग़ज़ की जो

पानी पे चला देते हैं। (Self)


भीगने देना बारिश में

उछल कूद भी करने देना

हो सके तो बच्चों को

एक कागज़ की किश्ती

चलाने देना।


आज भी याद आती है वो कलम से लिखी चिठ्ठी

जिस पर मिलती थीं अपनों की खबरें

वो दुख की तस्वीरें

वो सुख की तहरीरें

पेड़ों पर लगे आम

खेतों में लहलहाता धान

सब दिखता था उसमें

अम्मा की दवा का ब्यौरा

छोटू की फरमाइशें

सब खो गया कहीं

what's app से फारवर्ड जो हो गए हम 

(Consider writing a letter on paper to someone near & dear one. You'd be happier after getting good reactions.)


किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,

तुम ही भूल गए हो शायद, अब नाव बनानी कागज़ की. 


काग़ज़ की कश्तियाँ भी बहुत काम आएँगी,

जिस दिन हमारे शहर में सैलाब आएगा  ... 


पहले जब तू खत लिखता था, कागज में चेहरा दिखता था

व्हाट्सएप में वह बात कहां है, चेहरा है जज्बात कहां है

जाकर A4 Paper लाना, चिट्ठी लिख दे, देर लगा ना

अब क्यों है इंकार तुझको, चिट्ठी का इंतज़ार है मुझको .


बार बार आता है काम, होता है रीसायकल

कागज़ सफ़ेद हो, या फिर हो रंगीन

खुरदुरा हो, चिकना हो, बहुत मोटा हो,

या हो भले ही बहुत सॉफ्ट, बहुत महीन. (Self)

(Each and every paper can be recycled after use, except for one grade- Guess it. I can bet,, if you guess correctly, there'll be a pretty smile on your face.)


गर प्यार नहीं है तो पत्रों को सीने से लगाया नहीं करते.

कागज की इन चिट्ठियों को रिसाइकल क्यों नहीं करते? (Self)


शून्य से मन में .. .. पहाड़ों जितनी पीड़ा!

उतार करके कागज़ पे, मैं हूँ  .... जी  रहा. (Self)


दिल मे छुपी आह, आंखों से ना बही.

और स्याही में लिपट कागज पे टपक गई।

Paper: Best medium to preserve your sentiments.


बिखर जाते है हवाओ में

कभी उतर आते कागज पे

कभी लिपट जाते है खमोशियो से

कभी घुल जाते है आँखों में

बेजबान नही जरा सा उलझे है

में और मेरे ख्याल. 


मामूली सी चाय भी, कागज़ में लिपटकर 

टी-बैग कहलाती है, कीमती हो जाती है।

Use Paper. 


मिठाई खाने का मेरा बहुत मन था,

पर एक कागज का टुकड़ा कम था। 


अक्सर, बार-बार आपसे यह कुछ कहना चाहती हैं,

मेरी भावनाएं कागज से लिपट कर रहना चाहती हैं.

कागज से लिपट कर पड़े हैं खामोश वो शब्द डायरी में,

जिनको मेरी जुबान आपके कानो को कहना चाहती है. (Self)


कभी-कभी आप बहुत याद आते हैं

आपके ख्याल मेरे दिल से लिपट जाते हैं.

जब कभी आपके ख्यालों से ज्यादा तड़पता हूं,

मैं लफ़्ज़ों के परिन्दों को काग़ज़ के पिंजरो में भरता हूँ... (Self)


कभी खामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है,

सिर्फ यादें रह जाती हैं,

क्या फर्क पड़ता है, दिल हो या कागज़

जलने के बाद सिर्फ राख रह जाती है 


जब तक था तुम्हारे साथ, था तभी तक मेरा वजूद

तुम से बिछड़ कर तो मैं कागज की तरह गल गया. (Self)


कागज़ पर ही शब्द आयात और निर्यात करते रहे

इस तरह से रोज़ हम बयाँ अपने जज़्बात करते रहे. (Self)


चलो ना.. !!

इस बारिश में

मिट्टी की सौंधी खुशबू

और

अमृत की मिठास

समंदर में घोल दें.

...

आज फिर

बनाकर एक नाव

कागज की

आज पानी में छोड़ दें.


सोचो अगर,

अखबार कागज़ का न होता

तो क्या होता, तो क्या होता

...

न खा पाते रख के समोसा उसपे

न गर्मियों में हाथ के पंखे का सहारा होता

...

चूरन की पुड़िया भी कैसे बनती

धुंधला सा आइना भी मेरे धुंधले से चेहरे से डर गया होता.

...

Incomplete... self


अक्सर,,, कागज रोते नहीं पर👍 रुला देते😭

फिर चाहे वह प्रेम पत्र हो👍 परीक्षा रिजल्ट हो👍 या मेडिकल रिपोर्ट😝


निकाल दिया उसने हमें, अपनी जिंदगी से भीगे कागज की तरह!

ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के...!


मैं नाव हूँ कागज़ का, डूबूँगा यक़ीनन, पर

खुश यूँ हूँ कि मेरा भी बरसात से, रिश्ता है... 


"पेपर वेट"

उसका वजन

कागजों को इधर उधर बिखरने से रोकता है.

अपने भार से वह

कागजों को कुचलता नहीं, कभी भी.

ताकत की यह भी एक नैतिकता है...      (Copied) 


न पढ़िये ग़ौर से आँखें हमारी

हमारा दर्द नहीं है अख़बारी...                 (Copied)


मिटटी का कुल्हड़ सबको कितना भाता है?

पर्यावरण हितैषी कहे जाने को ये कितना ललचाता है?

एक दिन, सोचिये सिर्फ एक दिन, अगर सभी भारतवासी अगर कुल्हड़ का प्रयोग कर लें, तो कितनी मिटटी लगेगी इन कुल्ल्हडों को बनाने में? सोचिए कितना इंधन लगेगा इन कुल्ल्हडों को पकाने में?

क्या करेंगे फिर इन पुराने कुल्ल्हडों का? कैसे रीसायकल होंगे ये?

कब तक दूर भागोगे पेपर से? 

Use Paper   (Self)


कागज...

पुरानी फाइलों के बीच

अंधेरे कमरों में बंद अलमारियों में

पड़े रहते हैं चुपचाप

बस यही एक इंतजार

कि कब निकालेंगे उन्हें एक बार

या तो वे आपके

फिर एक बार काम आएंगे,

पुरानी स्मृतियों को जगायेंगे

अन्यथा चुपचाप

रिसाइकिल होने चले जाएंगे. (Self)


बहन थी दूर और भाई के चेहरे पर थी उदासी

कागज लाया समेट कर अपनी छाती में राखी (Self)


डाकिया एक कागज लाता था

और मेरा चेहरा खिल जाता था. (Self)


कोरे काग़ज पर जो लहू की रोशनाई, बिखेरी है हमने  ।

उसे कभी तो मोहब्बत की निगाहों से पढ़, एक दिन । 


जिनको हो खुद पे यकीन

वो कागज़ की कश्तियां

चलाया नही करते..

पा लेते है धीमें से मंजिल को

फासलो के डर से

दौड़ लगाया नही करते... 


थोड़ी  ख्वाहिशों का धागा, कागज़ की पतंग में 

लगा के छोड़ दिया... जिंदगी के आसमां में

कुछ पल ही सही, साथ-साथ तो रहेंगे जीवन में .... 


मिली थी ‘जिन्दगी’ , किसी के ‘काम’ आने के लिए…..

पर ‘वक्त’ बीत रहा है , “कागज” के “टुकड़े” “कमाने” के लिए… 


तुम्हारा नाम लिखता हूँ

कागज पर

और

कागज बन जाता है

पवित्र पुष्प,

इस तरह

पूरी हो जाती है प्रार्थना।     -पवन @OnlyPavanKumar (Twitter) 


अगर कोई आपसे अपने मन की बात "शेयर" करे तो अंधा कुआं बनना  "न्यूजपेपर" नही । 


तुम सामने नहीं, सिर्फ कागज़ों पे ज्यादा खूबसूरत दिखते हो,

न मानो तो आईने के बगल में रख कर आधार कार्ड देख लो. (Self)


कलम नाचती है आप के इशारों पर

कलम बिक भी जाती है बाजारों में

कलम को खरीदा भी जा सकता है

...

कागज हमेशा कलम के नीचे रहता है

कागज हमेशा कलम की चुभन सहता है

कागज हर एक दुख को चुपचाप सहता है

...

दिल से सुनिए हर एक कागज कुछ कहता है. (Self)



सोशल मीडिया के नोटिफिकेशन आने में

मैसेज और ईमेल के जमाने में

खाली पड़े लेटर बॉक्स के जमाने में

भूली बिसरी किसी चिट्ठी का आना

कुछ ऐसा लगता है मानो AC से निकलकर

किसी आम की बगिया में चले जाना

क्या कोई अपना है आपका

जो आज भी आपको चिट्ठी लिखता है

क्या आपका कोई अपना है, कोई खास

जिसे चिट्ठी लिखने की इच्छा जागृत हुई है अभी, आज? (Self)


मेरे मन के भाव अब कलम से कागज़ पर नहीं उतरते,

मेरी आवाज़ अक्सर पहाड़ों से टकराकर, लौट आती है. (Self)


सिर्फ़ बना लेना उसके होंठ काग़ज़ पर... देखना

ख़ुद बना लेगा कागज़ उन होठों पर उसकी हँसी (Self)


स्तब्ध हैं आज शब्द, तरस रहे पाने को कागज़ का स्पर्श

भाता नहीं है उनको, लैपटॉप-मोबाइल का चमकता फर्श (Self)


कागज़ी इक़रारनामे के क़ायल नहीं है हम..

मगर चाहो तो होंठो पे दस्तख़त ले लो तुम. 


छोड़ो ना यार, यह संसार एक पड़ाव है,

दुनिया नदी है, हम कागज़ की नाव हैं. 


Don't just rely too much on your memory. 

If you want to capture inspiration, 

you need to carry pen & paper with you. 

EVERYWHERE. 


जंग में... कागज़ी अफ़रात से क्या होता है...

हिम्मतें लड़ती हैं... तादाद से क्या होता है...!! 


कागज पर पहला ख़त लिखने में, वक़्त तो लगता है.

नये परिन्दों को उड़ने में .. .. .. ..  वक़्त तो लगता है. 


कागज की कश्ती में कागज के फूल

कोरे कोरे से कागज नए-नए हैं दस्तूर   Twitter @nagrik25 


कोई  सूरज  बनाता  है  कोई  जुगनू बनाता है

मगर  वैसा कहाँ  बनता  है जैसा  तू  बनाता है

बना लेते  हैं  जाने लोग  कितने फूल काग़ज़ के

मगर क्या कोई ऐसा भी है जो  ख़ुशबू बनाता है  Twitter @NadeemFarrukh_ 


#कागज़ के फूल बना

#कागज़ पे ये लिखा..

देखो इन फूलों में ..

ख़ुशबू जरा भी नहीं है

#कागज़ की कश्ती बना

पूछते है हमसे से वो

ये तो बताओ ज़रा

ये पानी में डूबती क्यों हैं

#कागज़ पे दिल बना

मोड़कर उसे फिर वो

हमसे ये पूछते है की

ये तो बताओ दिल टूटता क्यों है?    Twitter @pkp999 


समझते थे मगर फिर भी ना रखी दूरियाँ हमने,

चरागों को जलाने में जला ली उंगलियाँ हमने!!

कोई तितली हमारे पास आती भी तो क्या आती,

सजाएं उम्रभर कागज़ के फूल और पत्तियाँ हमने!    Twitter @Ayaaniqbal17 


चाहत से भीगती हैं ज़मीनें कभी कहीं,

बादल ये बार बार बरसते नहीं सनम.

कल भी थीं आसमान पे रिश्तों की क़ीमतें,

काग़ज़ के फूल आज भी सस्ते नहीं सनम.    Twitter @AalokTweet 


अगर गुलशन की बात है तो महक होती है लाज़मी

वरना काग़ज़ के फ़ूल, बाज़ार में बड़े सस्ते मिलते हैं..

स्तुति शुक्ला @Twitter 


पत्थरों में भी मुस्कुरा के खिल जाते हो

फ़िर भी कागज़ के फ़ूल कहलाते हो :)   (Unknown) 


थक गई अब खुद को तन्हा सहेजते हुए

कोई कागज़ के ही फूल दे दे महकते हुए

उनकी #खुशबू में सारा जीवन पा लूं

ये जो बेरंग सा जीवन मेरा इसे इंद्रधनुषी बना लूं

मिट जाऊं खुद की खुशी के लिए खुद ही

अब तो ये जीवन मैं खुद तन्हा बिता लूं.. Pihu Arya @Twitter



मन के अंदर का शोर, कागज पर शेर हो गया

बंदूक नही कलम से ही, शेर भी पल में ढेर हो गया 


The paper boat knew no seas or oceans

It knew its inner soul,

To set sail & reach its destiny

It was its only goal.


Fret not fear not

Keep your target set

Be the little paper boat

Set sail in the unknown ocean.   (Via Twitter) 


आख़िर तो डूबना ही था काग़ज़ की नाव को

आप इल्ज़ाम देते रहिए नदी के बहाव को.  

(Via Twitter- राजेश रेड्डी) 


चंद तस्वीर -ऐ -बुतां,

चंद हसीनो के ख़त,

बाद मरने के मेरे घर से ये सामान निकला

(आज कल मरने के बाद ख़त कहाँ मिलेंगे?)
(c) Sh. R S Mangat, Senior Paper Technologist


तेरी यादों को मैने कागज पर उतारा है,

तुम ने सुना नहीं मैने तो बहुत पुकारा है. (Twitter)


किताब के पन्नों में सुखे गुलाब की तरह,

हम न होंगे.... हमारी खूशबू बसी रहेगी! (Twitter)


लफ्ज़.. अल्फ़ाज़.. काग़ज़.. किताब सब बैमानी है ….

तुम कहते रहो, हम सुनते रहे बस इतनी सी कहानी है. (Twitter)


भरोसा टूट भी सकता है

जुबान पलट भी सकती है

एक कागज ही है

जो विश्वास दिलाता है

एक कागज ही है

जो करार बन जाता है.    (Self)


तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त, मैं जलाता कैसे,

प्यार में डूबे हुये ख़त, मैं जलाता कैसे,

तेरे हाथों के लिखे ख़त, मैं जलाता कैसे?

उन खतों को आज मैं, रद्दी में दे आया हूं

रिसाइकल होकर फिर से कागज बनेगा,

यह विश्वास आज मैं अपने साथ लाया हूं.     (Appended- Self)


कोई ज़रूरी नहीं कि क़लम ही लिखा करे काग़ज़ पर ...

तुम वह पढ़ना जो काग़ज़ लिखा करते हैं क़लमों पर....

@Kirurulz (Twitter) 


प्यार भी वहीं टिकता था जब दीवाने कलम से कागज पर प्रेमपत्र लिखते थे

आजकल का प्यार जो व्हाट्सप या मैसेंजर पर लिखा जाता है

वो तो हफ्ते या महीने भर में ऑल मैसेज क्लीन के साथ गायब हो जाता है 

(Via Twitter)


कई बार रद्दी के भाव बिक जाते है सारे के सारे जज़्बात...!!

कई बार कूड़े के ढेर में भी, मिल जाते हैं सौगात...!!! 

Use Paper (Twitter)


सीखने को मैं कोई सबक तो नहीं।

मैं तो कागज हूं नाजुक सा,

जो तूने फेका था ज़मीन पर।।

अब उठा हूं, बना हूं किताब।

तो कहते हो पढ़लो बैठकर ज़मीन पर।।

Dr Armaan @DrArmaan13


“ मन के नाजुक से मौसम में,

भारी-भरकम बोझ उठाए,

कागज की किश्ती से शायद,

हुआ है अरसा साथ निभाए,

खुद के अहसासों पर तारी,

हूँ सुकूँ या फिर कहर हूँ....मैं शहर हूँ। ”

काव्यपीडिया @Kaavyapediaa 


ठहरे हुआ पानी में

हवा से हिचकोले खाती 

बचपन की पाठशाला की

वो नाज़ुक सी काग़ज़ की नाँव..!!

Jkhaan. @kjabeer11 


सौ दीयों की रोशनी आँखो से झिलमिलाई होगी||

     ....जब नाजुक उंगलियों ने...

कागज पर दिवाली का दिया बनाया होगा||

महावर @im___praveen 


सहजता से काग़ज़ भरे रह गए,

नाज़ुक समाज से परे रह गए

आंखें, जज्बात ना अब बिके स्याही

जो गलत थे आखिर वही खरे रह गए।

©कुमार_अतुल

Atul @swabhaavik 


इतना जल्दी भुला देंगे वो हमे ये सोचा न था,

कुछ पल तो याद रहे ऐसी भी हमारी हस्ती थी।

समंदर भी शांत था, मांझी भी समझदार था,

फिर भी डुब गई, जैसे कागज़ की कस्ती थी।।

CA_YAYAVAR @benganidhanpat 


कलम कागज़ की रीत पुरानी

चलो सुना दे तुम्हें एक अंकुरित कहानी

एक नन्ही जी जान नाज़ुक सी वो समां से बेगानी

खिलने खेलते खिलते वो खिलाफ के खिली

चौंक रहें घोर घनघोर से बादल

बरसों बरसें व्यथित होकर न निकले

समय रेखा असमंजस

कागज़ कागज़ वो कश्ती बनती

जीवन लेखन जो धड़कन लिखती...(१)

NEEL @Neel1Neel



कागज के फूलों सी

है जिंदगी

थोडी करारी जरूर है

पर नाजुक सी है जिंदगी

थोडी गुस्सैल जरूर है

पर मासूम सी है जिंदगी

थोडी मनचली जरूर है

पर सुचिंतित सी है जिंदगी

थोडी बहकी सी थोडी बेअदबी सी

थीडी कठोर तो थोडी कोमल भी

पर हां

सब रंगों से भरी सी है जिंदगी.!!

शायर मलंग @ShayarMalang 


गालों के नाजुक कागज पर

आँसुओं ने खत लिखा है

पढ़ लेता है उसे कोई भी आते जाते

नहीं ढँक पाती उसे मुस्कान की

उजली चादर भी

तुम बन के बारिश छिपा दो ना वो खत

कौन समझता है उदासी आँखों की!

-पवन Pavan Kumar Singh @OnlyPavanKumar 



खतों से मीलो सफर करते थे जज्बात कभी,

आजकल घंटों बातें करके भी दिल नहीं मिलते.

हम अ'विश्वास के उस दौर में है जहां हमें

प्रेम पत्र भी स्टाम्प पेपर पर लिखने होंगे. (Twitter)


मासूम मोहब्बत का बस इतना सा फसाना है...

कागज की कश्ती है और बारिश का जमाना है।       (Twitter)


कुछ किस्से बस कागज़ पर ही रह गए

कुछ अश्क निकले भी नहीं और बह गए...

(Twitter, Ambika Tyagi, @Amicable_10) 


हमारे अश्क़ कुछ इस तरह से उतरे,

काग़ज़ ओर कलम भी कांप उठे..!!!

(Twitter, DRG009, @DarshanGohil009)



जो उठा लेता है सड़क से कागज का टुकड़ा भी,

समझदार लोग उस "गरीब को कबाड़ी" कहते हैं।

(Twitter, गुमनाम, @Ladka__shariff)



तेरे ख़त में इश्क की गवाही आज भी है,

हर्फ़ धुंधले हो गए पर स्याही आज भी है..!!

(Twitter, कुछ अल्फाज़, @Dillsedesi)

Use Paper for long lasting love!



बेवफाई मे भी प्यार का एहसास हमने रहने दिया,

उस के सारे खत जला दिये बस पता रहने दिया।

(Twitter, चरन जीत सिंह, @Charanj26167430)

(You can do this; only with paper!) 


खत में मेरे ही खत के टुकड़े थे !

और मुझे लगा कि जवाब आया है !

(Twitter, Niyati Chaudhary @NiyatiChaudhary & others)

This too is possible, only with Paper 


वक्त के पहिये धीरे धीरे, आवाज बदल देते हैं।

रिश्तों की समझ, समर्पण का भाव बदल देते हैं।

उसने हमें बदला, तो क्या बदला....

ये कागज़ के नोट हैं साहब, इंसान बदल देते हैं।।

(Twitter, Bharat Bhushan Tyagi, @bharatbhushant5) 


जब एकाकी मन होता है

भावों का कम्पन होता है

कलम और कागज के चुम्बन से

कविता का सृजन होता है

विचारों का मंथन होता है

अंतस में स्पंदन होता है

नाचती है कलम बन राधा

मानो कवि किशन होता है

मुक्त हर बंधन होता है

कल्पना का आँगन होता है

कागज के उजले तन पे देखो

स्याही का उबटन होता है.

(Twitter, °᭄ मृत्यृ की ओर...°, @pandey2611) 


एक कक्षा में

धरती

बन जाती है ग्लोब

आसमान कागज

पहाड़ हथेली पर रखा

पत्थर का टुकड़ा

और नदियाँ

चाॅक या कलम से खिंची रेखाएं।

एक कक्षा में

किताबें घर होतीं हैं

शिक्षक उनका दरवाजा होते हैं

बच्चे उसमें बसने वाले परिवार

और स्कूल होता है

उन्हें जोड़ने वाला

भरापुरा एक समाज।

(Twitter, Alok Kumar Mishra, @AlokMishra1206) 


सुनो ना...

तुम्हारे ख़त को चींटियों ने घेर रखा है.

क़लम होठों से लगाकर, ख़त न लिखा करो.

(Twitter, chaa_piso, @Cha_smosa_jlebi)

Is that possible with digital media?

No. Never. Use Paper. 


उसके हाथ में थे, मेरे खत के हजार टुकड़े...,

मेरे एक सवाल के वो कितने जवाब लाया था..!!!

(Twitter, ®éhåñ $håikh°°°, @i_m_Rehanshaikh) 


ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन

दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो

(Twitter, Hello Life, @hello_life18) 


इन बारिशों से तेरी दोस्ती अच्छी नही फ़राज़

कागज़ का कच्छा है तेरा कुछ तो ख्याल कर.

(Twitter, नीतीश गिरीश गिरी/(गोस्वामी)आर्य @Nitishgiri14) 


युग बदले - ज़माना बदला,

लोग बदले लोगों का फ़साना बदला,

बदला तो सिर्फ तकदीर का कागज़,

पर उन कागज़ों पर लिखने वाला ना बदला !!

(Twitter, Mohit Yadav, @mohit143rao) 


खत रखे है तेरे बड़े सम्हाल कर

न तो पढ़े जाते है न जलाये जाते है.

(Twitter, Old Monk, @oldmonkg)

Paper... preserving memories. 


कागज़ की नाव नहीं है.... मिट्टी वाला गांव नहीं है ||

भावनाओं के समन्दर में....भावों का भराव नहीं है ||

(Twitter, मानसी स्वाइँ, @Manasiswain13) 


तू मेरे नाम कोई शाम सुहानी लिख दे

दिल के कागज़ पे मोहब्बत की कहानी लिख दे..

ज़िन्दगानी के नए मोड़ का आगाज़ हु मै

तेरी हमराज़ हु मैं तेरी हमराज़ हु मैं.....

(Twitter, FARHANjameelKHAN, @FARHANjameelKH2) 


धागा एक बंधन तुझको मन्नत बना लूं

कागज पे दिल के तेरी सूरत बना लूं

छूटे कभी ना वो आदत बना लूं

आ शिद्दत बना लूं तुझे

इश्क की ऐसी कहावत बना लूं

पानी पे लिख दूं लिखावट बना लूं

गूंजे सदा वो आहट बना लूं

आ शिद्दत बना लूं तुझे...

(Twitter, Vikram Chauhan, @vikramsinghhere) 


मैने कागज़ पे सूरज बनाया

धूप दिल में खिली...!!

(Twitter, shivani, @kurbaten) 


कोई पन्ना कहीं रहा, कोई काग़ज कहीं,

अपने दिल की इन कविताओं को

कभी समेट नहीं पाई मैं,

यह मेरी तरह बिखरी ही रहीं...

(Twitter, #Anushca...♡, @theanushcasm) 


जो कागज पर लिख दू

तारीफ तुम्हारी------»»»

तो श्याही भी तेरे हुस्न की

गुलाम हो जाये..!!!!!

(Twitter, sanjeet fagana(gujjar )***, @Patel21264365) 


दिल के सारे एहसास कागज़ में कैद हो जाते हैं।

जिन दर्द जख्मों को किसी से कह नहीं पाते हैं।

क्या करें,किसी से हाल-ए-दिल बयां।

लोग तो जख्मों पर भी नमक छिड़क जाते हैं।

(Twitter, Srishti Singh, @singh_srishti18) 


कागज की कश्ती है कैसी ये मतलब परस्ती है,

डूबना इसका लाजिम तेरी तो ये खूब मस्ती है!

दिल का सौदा किया बुत बना दिया  ... ,

बुत में जान डाल सकते नहीं तेरी क्या हस्ती है!!

(Twitter, Rani Anjum Ara, @s79697800) 


हाले-दिल जिसमें लिखा था दोस्तो

एक मुद्दत तक  वो काग़ज़ नम रहा

(Twitter, 𝓘𝓽𝔃_𝓒𝓪𝓻𝓻𝔂_𝓝𝓸, @Carry_on1234) 


तन्हाई में रहना आदत हो गया है ,

टूटा दिल कोरा कागज हो गया है ,

(Twitter, Nek Dil Banda, @NekDilBanda) 


जो दिल का ज़हर था काग़ज़ पर सब बिखेर दिया

फिर अपने आप तबियत मिरी संभलने लगी...

(Twitter, Ajay Aujla, @AjayKum64634822) 


एक अजीब सा सुकून मिलता है मुझे ...

हर रोज़ दो लफ्ज़ काग़ज़ पर उतार कर,

कह देती हूँ दिल की हर बात... बिना कुछ बात कहे ही ।। 

(Twitter, 𝓟𝓸𝓾𝓵𝓸𝓶𝓲𝓢𝓻𝓲𝓷𝓲𝔀𝓪𝓼, @MockingBird2K) 


हादसे इंसान के संग मसखरी करने लगे;

लफ्ज कागज पर उतर जादूगरी करने लगे;

कामयाबी जिसने पाई उनके घर बस गए;

जिनके दिल टूटे वो आशिक शायरी करने लगे.

(Twitter, komal...Rani.., @komal75265437) 



अभी दो-चार जुमलों से भरा काग़ज़ का टुकड़ा है

ख़िज़ाँ आने दो फिर ख़ुशबू मिरी चिट्ठी से निकलेगी.

(Twitter, ब-दस्तूर, @BaDastoor) 


अधूरे किस्से लिखकर पन्ने मोड़ आया हूं,

मैं खुद का एक टुकड़ा भी लखनऊ छोड़ आया हूं!

(Twitter, प्रधान जी सैफ़ी, @Afsarali190) 


चाँद सा मिसरा अकेला है मेरे काग़ज़ पर...

छत पे आ जाओ मेरा शेर मुकम्मल कर दो..

(Twitter, मुसाफ़िर, @manish0891) 


आओ कविता करे!

थोड़ा महसूस करे कही सुनी बातों को,

समेटे बिखरे बिखरे बिखरे जज्बातों को,

आखिर हिन्दी के मजदूर हैं हम,

आओ पसीने से कमीज़ भरे!

आओ कविता करे!

बुने फिर ख्यालों का कोई नया तानाबाना,

शब्दो से साधे कागज पर हरदम निशाना,

आखिर ये लक्ष्य भेदके लेंगे दम,

आओ अब किससे डरे!

आओ कविता करे!

लग गया तो तीर नही तो समझलो तुक्का,

कविता ही तो लिखनी थी नही कोई रुक्का,

आखिर ये ही तो है हमारा करम,

आओ क्यो प्रतीक्षा करें!

आओ कविता करे!

(Twitter, सूरमा भोपाली, @Surmaabhopalii) 


पसीने में नहाए बिना, आँखों से लहू बहाए बिना शब्दों में अर्थ नहीं पैदा होगा।

भीगे बिना बारिश लिखोगे तो काग़ज़ सूखा रह जाएगा।

(Twitter, Baabusha Kohli, @Baabusha) 


कविताऐं

लिखी नहीं जाती

वे बहती है

मन में उमड़ती

भावनाओं सी

कभी टपकती है

जिंदगी के कोने कागज पर

पसीने की बूंदों सी

कभी कर देती है स्तब्ध

अचानक आए भूकंप सी

कविता मन के ज्वालामुखी

का सुगंधित विस्फोट है

कविता झरोखा है

वर्तमान से भूत भविष्य

में झांकने का  

(Twitter, Narpati Chandra Pareek, @pareeknc7) 


ताउम्र खून पसीने से सींचा उसनें नव पौध को

फूल कागज के उगेंगे, माली को अंदेशा न था

(Twitter, Kalamshala, @kalamshala1) 


कागज़ की कहानी को भी

बस कागज़ नसीब ना हुआ,

तूने लिखा तो उँगलियों से ही

बस हरफों को कागज़ नसीब ना हुआ ।।

(Nagendra Singh, Dy. Commandant, BSF) 


अनकहे अनसुने जज़्बात की लिखनी कहानी है,

कागज़ है खफा खफा, और कलम भी अनजानी है।

(Originally written by unknown; modified.) 


मैसेज कहाँ दिखा पाते हैं स्याही

आवाज भी कहाँ सुना पाती है आँखों का अनकहा,

वीडियो कहाँ दिखा पाते मन का सच

संख्या दिखाने वाली

टेक्नोलॉजी

नहीं पढ़ पाती

दिल की उदासी

ना कभी उठा पाती है

आँसुओं का वजन।

(Twitter, पवन, @OnlyPavanKumar)

Write a letter. Use Paper. 


'बरसों बरस बीत गए हैं घर की ड्योढ़ी पर डाकिया आकर नहीं रूका, न ही उसकी साइकिल की घंटी ही कहीं आस-पड़ोस में सुनाई देती है। क्या आप भूल गए हैं वो वक्त और जगहों की हदों को पार करता हुआ कागज़ का टुकड़ा, वो ख़त!' - अनिता सेठी

(Twitter, Slow, @TheSlowMovement)


रंगों से खेलना शुरू कीजिए

दुनिया सादा कागज बन जाएगी

टूटना तो हदों का अंजाम है

उलझने दिल से बाहर निकलीं

तो एक कलाकृति बन जाएगी

(Twitter, Arvind Sharma, @sarviind)


क़लम अपना ज़बाँ अपनी कहन अपना ही रखती हूँ

अंधेरों से नहीं डरती "किरण" हूँ ख़ुद चमकती हूँ

जहाँ में कागज़ी फूलों का कारोबार ज़्यादा है

मगर मैं आज भी अपनी ही ख़ुश्बू से महकती हूँ

(Twitter, Dr kavita kiran, @kavitakiran)


किताबी इश्क से जीवन की कला हुई बेकार

कागजी फूलों से महकती नहीं जीवन का गुलबहार।

गौरांग साहू

(Twitter, Gaurang, @Gaurang25580645)


आइये बागों में और #क़ुदरत  से नाता जोड़िये

कागज़ी फूलों से साहिब #दिल  लगाना छोड़िये

बड़ी मुश्किल से कम होते है दिलों के फासले

#दूरियां  कितनी भी हों-- न आनाजाना छोड़िये .

(Twitter, alka_aditi, @aditiagrawal312)


कितनी उम्मींदें लगाकर आ गई फिर तितलियाँ,

काग़ज़ी फूलों से धोखा खा गई फिर तितलियाँ.

(Twitter, अजय चौहान, @ajaychauhan41)


किसी झूटी वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता,

मुझे घर काग़ज़ी फूलों से महकाना नहीं आता !!

(Twitter, Anoorva Sinha, @AnoorvaSinha)


कागज़ी फूलों से उम्मीद कैसी ख़ुशबू की

हसीन चेहरों में अक्सर वफ़ा नहीं होती.

(Twitter, दर-बदर, @Mahanaatma1)


"आँखों" के अँजुमन में –

             बस "हुस्न" के ही चर्चे हैं,

     कागजी "फूलों" में खुश्बू की–

              "दुआऐं" नहीं मिलती..!!

(Twitter, रजनीश कुमार सिंह, @rajnish0026)


कागज़ी  फूलों  से  घर  अपना   सजाने   वाले

तुझ को मालूम नहीं, कहते हैं खुश्बू किस को

(Twitter, Guru Banarasi, @gurubanaarasi)

#जितेंद्र_साग़र_बिजनौरी


मोबाइल चोरी हुई

नम्बर भी गया तुम्हारा

संदेशें जो कागज पर थे

बस वही रह गए

इतना बताने को कि

चिट्ठियां लिखते रहा करो न

अब भी

बेशक बेनामी, बे-पते की चिट्ठियां ही सही।

(Twitter, Mukesh Kumar Sinha, @Tweetmukesh)

Use Paper. Write a letter!


तुम्हें गर दर्द लिखना हो

तो यूँ करना

किसी कागज़ के टुकड़े को

हवाओं के इशारों पर बहा देना

उसे कुछ नाम न देना

वो कागज़ भीग जाए जब

किसी खामोश लम्हें में

चरागों की हदों पर रख के पढ़ लेना

मेरे हर दर्द का किस्सा

बहुत रोशन लिखा होगा

(Twitter, Sujoy, @Sujoy0001)


खुश रहने के लिए मुझे

चाहिए ही क्या ?

एक कोरा कागज़ , एक कलम

और मेरे कुछ उलझे जज़्बात

जिसको लिखती रहूं

मैं सारा दिन सारी रात ...

(Twitter, Harshita Kumari, @Chahita2126)


प्रिय !!! लिखकर

नीचे लिख दूँ नाम तुम्हारा !

कुछ जगह बीच मे छोड़

नीचे लिख दूँ सदा तुम्हारा !

लिखा बीच मे क्या?

ये तुमको पढ़ना है,

कागज़ पर मन की भाषा का अर्थ समझना है !

जो भी अर्थ निकलोगी तुम वो मुझको स्वीकार…,

मौन अधर…कोरा कागज़…

और अर्थ सभी का प्यार @!!

(Twitter, Zeenat Rana, @izeenatrana)


नया पन्ना..कोरा काग़ज़..उस पर ये ढलती जवानी ..

आओ लिखे मिल कर फिर से एक नई कहानी ..

(Twitter, ROSHNI AJIT KUMAR, @RoshniAjit)


काग़ज भावनाओं को बेहतर ग्रहण कर लेता है ! बजाय इँसानों के

(Twitter, The APC, @PaulAme99)


वो इंतजार की घड़ियाँ, सीने से लगाकर पत्र सँजोना जाने कहाँ खो गई,

तकनीकी युग में सब्र के बाँध टूट रहे हैं 

अब फुर्सत किसे कागज में भावनाओं को उकेरने की....

(Twitter, Sandhya Choudhury, @Sandhya7268)


दिल अगर है तो दर्द भी होगा

उसका कोई नहीं है हल शायद,

कश्ती काग़ज़ की बहते पानी में

कोई मिल जाये, पार चल शायद.

(Twitter, Teekhar, @teekhar)


यही अन्दाज़ है मेरा, समन्दर फतह करने का

मेरी काग़ज़ की कश्ती में, कई जुगनू भी होते हैं।

(Twitter, Mamta Mishra राष्ट्रहित सर्वोपरि, @Mamta0Mishra)


ख़त की खुशबु बता रहीं हैं..

लिखते हुए उसकी जुल्फें खुली थी..!!

Can you imagine such thoughts with any other writing media?

No? Use Paper.


सर्दी में आपके दिल की भावनाएं, कहीं जम ना जाएं

अपने शब्दों को कागज के रेशों के कंबल में समेट लें

(Self)


अंतर्मन के कोलाहल को

मुख से बाहर मत निकालो

एक कलम से कागज पर

लिख डालो. लिख डालो.

(Self)


रात में, अगर कोई विचार आपको परेशान कर रहा है और आप इसे रोकने में सक्षम नहीं हैं, बस उठो और एक कागज़ पर इसे लिख डालो। आप बेहतर महसूस करेंगे और चैन की नींद सो पाएंगे!

(Unknown)


कागज ज्यादा हो और पानी कम

तो कागज पानी सोख लेता है.

पानी बहुत ज्यादा हो तो कागज

स्वयं को पानी में तिरोहित कर देता है.

कागज और पानी का यह रिश्ता

क्या नहीं है यह प्रेम की पराकाष्ठा?

(Self)


The best place to solve a problem is on paper.

(Unknown)


Animals outline their territories with their excretions, humans outline their territories by ink excretions on paper.

(Unknown)


Numbers have life; they're not just symbols on paper.

(Unknown)


Be different. Be bold. If someone gives you a ruled paper, write the other way.

(Self)


तुम्हें गर दर्द लिखना हो

तो यूँ करना

किसी कागज़ के टुकड़े को

हवाओं के इशारों पर बहा देना

उसे कुछ नाम न देना

वो कागज़ भीग जाए जब

किसी खामोश लम्हें में

चरागों की हदों पर रख के पढ़ लेना

मेरे हर दर्द का किस्सा

बहुत रोशन लिखा होगा

(Twitter, Sujoy, @Sujoy0001)


'बरसों बरस बीत गए हैं घर की ड्योढ़ी पर डाकिया आकर नहीं रूका, न ही उसकी साइकिल की घंटी ही कहीं आस-पड़ोस में सुनाई देती है। क्या आप भूल गए हैं वो वक्त और जगहों की हदों को पार करता हुआ कागज़ का टुकड़ा, वो ख़त!' - अनिता सेठी

(Twitter, Slow, @TheSlowMovement)


रंगों से खेलना शुरू कीजिए

दुनिया सादा कागज बन जाएगी

टूटना तो हदों का अंजाम है

उलझने दिल से बाहर निकलीं

तो एक कलाकृति बन जाएगी

...होली की शुभकामनाएं

(Twitter, Arvind Sharma, @sarviind)


How to deal with

anger and resentment

toward someone:

1. Write down your feelings on a *paper.*

2. Now put that *paper* in a bottle.

3. Break bottle over person's head ......

4. That *paper* may be used again and again.

5. Please do not forget to recycle the *paper*.

(Self. Just for fun. Don't take seriously!)


कागज़ की नाव नहीं है.... मिट्टी वाला गांव नहीं है ||

भावनाओं के समन्दर में....भावों का भराव नहीं है ||

(Twitter, मानसी स्वाइँ, @Manasiswain13)


जैसे बचाने की

कोशिशें की जाती है

किसी लुप्तप्राय जन्तु या पौधे को

जैसे नवकल्प किया जाता है

किसी टूटती हुई यादगार इमारत का

जैसे संरक्षित कर ली जाती है

पुरानी किताबें

चलो ऐसे ही हम..बचा लें

कागज पर उकेरी भावनाओं के भीगे शब्द चित्रों को

खत लिखने की परंपरा को

चलो हम बचा लेते हैं

(Twitter, sarita trivedi 'Nirjhara', @SaritaTrivediR1)


कागज़ की कश्ती थी , भावनाओं का समंदर

कश्ती तो राह पर थी,जिससे न बच सके वो थी लहर

(Twitter, पिंकी सिंह उरैती, @UretiPinky)


खत...!!

#ख़त किसी के लिए

महज एक काग़ज़ का टुकड़ा

तो किसी के लिए किसी के

यादों का पिटारा

किसी के लिए मन की भावनाओं को

व्यक्त करने का जरिया तो

किसी के खातिर जीने का सहारा.....

(Twitter, Gyan prakash Dubey, @Gpdubey001)


कोरा कागज़ सा ये मन था मेरा,

पवित्र भावनाओं सा तन था मेरा,

तुम आए इस जीवन में रंग बन के,

तुम्हारे शब्दों के स्पर्श से तुमने रंगा

था ये मन मेरा,

तुम्हारा रंग मुझ पर यू चढ़ा कि,

हर तरह तू ही तू नज़र आने लगा..

(Twitter, Shweta Jha, @ShwetaJha01)


नव आशाओं कि किरणें खिली है

महत्त्वाकांक्षाओं को विराम गया है

आत्म असीम ऊर्जा का संचार हुआ

प्रेम-स्याही का कागज़ से चुंबन हुआ

मन कि भावनाओं का कंपन हुआ है

हिय में कविताओं का सृजन हुआ है

नाचतीं कलम नृतकी राधा बन गयी

लिखने वाला कवि किशन बन गया।

(Twitter, गो𝔬𝔭𝔞𝔩 टी𝔪𝔤, @Rooh_E_Bazm)


किसकी के मन की वो आह

तो किसी के मन की वो चाह

कोई मुस्कुराहट उसमे छलकाए

तो कोई दर्द अपना बयां कर जाए

रंग कई समेटे हुए भावनाओं के कोरे

काग़ज़ पर जब वो उतर जाए

सतरंगी रंग लिए संग वो एहसासों

के कोरा कागज़ भी निखर आए

(Twitter, Kavita, @ZindgiEkKavita)


पत्र लेखन का दौर भी क्या खूब होता होगा! शब्दों के जरिए अपनी भावनाओं को काग़ज पर उड़ेलना भी एक कला है। लिखने में जितना रोमांच उतना ही पढ़ने में भी। शॉर्ट मैसेजिंग के इस दौर में हमने जो पाया सो पाया, खोया कुछ बेशकीमती है।

(Twitter, संजीव सिंह Sanjeev Singh سنجیو سنگھ, @sanjiiv_singh)


मोबाइल और इंटरनेट ने भले ही पत्रों को अप्रासंगिक कर दिया हो पर कागज पर उकरे भावनाओं की जगह कोई नहीं ले सकता |

(Twitter, Abhishek Singhvi, @DrAMSinghvi)


हमने मुस्कुराहटें लिखी

आँसू लिखे

किसी व्याकरण व शिल्प

की परवाह किए बिना

हमने सीधे

उतार कर रख दिया

उमड़ती भावनाओं को

काले अक्षरों मे

सफेद काग़ज़ पर

पता नहीं

इन अक्षरों से बने शब्द,

शब्दों से बने समूह को

कविता कहते हैं, या नहीं

या इन शब्द समूह को भी

कचरा कह कर पुकारती है !!

(Twitter, बिहारी_मुनीम, @Tarooba)


#कसक 

कागज पर स्याही से ,

भावनाओं को उड़ेल कर ।

यारों यारी करने का ,

जमाना   कहीं   खो गया ॥

    अब शादी हुई ऑन लाईन ,

     हनीमून        ऑन लाईन ।

     बेटा भी !      ऑन लाईन ,

     जाने कैसे ?      हो गया ॥

(Twitter, Umesh Singh Parmar. # I Jsr I, @UmeshSi30905754)


सह नहीं पाते लफ़्ज़

बोझ भावनाओं का

उभर नहीं पाते काग़ज़ पर

सब भारी हो जाता है

भीतर बाहर

(Twitter, Damini, @fanssay)


वह सियाही का रंग ,

कलम से लिखी हुई टेढ़ी लकीरें |

वह सिकुड़ी हुई कागज़ और वह कागज़ की खुशबू |

भावनाओं की कदर करते थे लोग उन् दिनों ,

अब इस तरह कल्पित वास्तविकता में ऐसे डूबें हैं ,

भूल गए अनुभव चिट्टी लिखने का  ,

अब ईमेल में उलझे हुए हैं

   **   निखिल **

(Twitter, Nikhil, @nikhildayakar)


हर सुबह उम्मीदें दिल के उदास काग़ज़ पर भावनाओं का झिलमिलाता मोती है जहाँ लफ़्ज़ो के सुर बजते है इन उम्मीदों को पँढो जिंदगी मुस्कुराती है।

(Twitter, Sayed Gous, @travelsin)


हमने इक दिन बस यूं ही नादानी में

काग़ज़ की इक नाॅंव उतारी पानी में

रफ़्ता-रफ़्ता हमको ये मालूम हुआ

कितनी मुश्किल होती है आसानी में

- कामरान हामिद

(Twitter, Guru Banarasi, @gurubanaarasi)


इक और किताब ख़त्म की फिर उसको फाड़ कर

कागज़ का इक जहाज़ बनाया खुशी हुई...

(Twitter, Margret., @margret_017)


सादा काग़ज़ पे कोई नाम कभी लिख लेना,

हो सके मिलने की इक शाम कभी लिख लेना !

कितनी रौशन हैं समुंदर की चमकती रातें,

डूबती लहरों का अंजाम कभी लिख लेना !

~वाकर मेंहदी

(Twitter, Imran Pratapgarhi, @ShayarImran)


काग़ज़ की कश्ती ........थी इक मेरे पास तो

पर सामने....'समन्दर में मेरे' तूफ़ान बहुत थे

(Twitter, Renu Gulati, @RenuGulati18)


जवाब देने है,सवाल बाकी है

दिल मे अब भी मलाल बाकी है

नया रंग उमङ आया बादलों पर

पूछना उनसे उनका #हाल बाकी है

इक कागज की कश्ती बहाई थी

देखना हवाओं की चाल बाकी है

शोर तेज है आज धङकनों का

वह करीब है ये ख्याल बाकी है

पिघल रहा वक्त हर लम्हा

खामोशियों का ये #साल बाकी है!

(Twitter, प्रियंका साह, @PriyankaSha17)


आज दिल मे दबी हर बात पूछ ली

कागज़ ने कलम से उसकी जात पूछ ली

हमारी इक रुह इक जान जो कहते थे कभी

आज मेरे प्यार की औकात पूछ ली...

(Twitter, परवाना, @Parwana1432)


झोंपड़ी तुम बनाओ यहाँ, दिल के तार से,

खनक उठेगा ये जहाँ खुशियों के ताल से,

सोंधी महक से भरा है, हर इक शख्स यहां,

तुम बस रिश्ता जोड़ लो उस अनूठे बाग से,

ख़ुश हो जायेंगे बालकों की तरह सब बड़े,

काग़ज़ की एक नाव को पानी में डाल  के।

(Twitter, aviraj, @aviraj21264320)


दास्तानों के सभी किरदार कम होने लगे

आज काग़ज़ चुनती फिरती है .. परी बग़दाद की

इक सुलगता .. चीख़ता माहौल है .. और कुछ नहीं

बात करते हो 'यगाना' .. किस अमीनाबाद की ..

(Twitter, @khwaahishein)


पढ़ा गया हमको

जैसे पढ़ा जाता है काग़ज

बच्चों की फटी कॉपियों का

‘चनाजोरगरम’ के लिफ़ाफ़े के बनने से पहले!

~ अनामिका

(Twitter, Hindinama, @Hindinama2)


तुमने खत पढ़ा ठीक बात है

मगर कागज चूमने का रिवाज तुमसे छूट गया न  !!

(Twitter, हेम्सवर्थ ठाकुर, @Meeshuuuuuu)


रहता है एक कागज मुसल्लस कुछ इस तरह

जलाया भी नहीं गया और पढ़ा भी नहीं गया

(Twitter, Suhani, @Nisha22012040)


सियासत के मसलों को, नस्लों की लड़ाई बना डाला

काग़ज़ पे खींची लकीरों को, हमने खाई बना डाला

(Twitter, Sumit Sapra, @sumitsapra)


कहानियां कुछ आपके अंदर होती हैं, कुछ बाहर.. 

एक दूसरे से उलझी हुईं, रेशेदार कहानियां... 

जब ये कागज़ पर उतरती हैं तो अंदर से बाहर तक 

एक - एक रेशा उधड़ जाता है, हर गांठ खुल जाती है..

(Twitter, Shubhra Suman, @shubhra_suman)


महंगा बहुत हो गया है कागज

इश्क अब हवा में हैं करने लगे

(Twitter, Pradeep Kushwaha, @pkkushwaha987)


एक कागज दे दो मुझे,

जिसपे मैं पंख बनाकर उडता फिरू।

(Twitter, Chirag Bhatia (O-), @CBOnegative25)


महज़ कागज़ का टुकड़ा नहीं होती चिट्ठी,

कुछ ग्राम निराशा, कुछ छिड़काव खुशी का लिए

कभी नए जीवन जीने का पैग़ाम लिए चिट्ठी,

कभी दुख का सैलाब ले कर आए चिट्ठी,

महज़ कागज़ का टुकड़ा नहीं होती एक चिट्ठी...

(Twitter, Memewati, @memewatiDT)


लुगदी साहित्य क्या है ? कईयों को ‘पढ़ने का चस्का’ लगाने वाली ये किताबें, किसी भी भाषा के लिए पाठक वर्ग तैयार करने का काम करती हैं। रिसाइकल्ड पेपर यानि लुगदी कागज पर छपने की वजह से इसे ‘लुगदी साहित्य’ कहा जाता है।

(Twitter, योगी त्यागी, @advyktyagi) 


दिन के कोरे कागज़ पर सूरज ने किये दस्तखत

और धूप से बोला- लिख दी तेरे नाम वसीयत

हँसकर बोली धूप- "मुझे तो सब कुछ है मंज़ूर

तुम जो मेरे साथ रहो तो सँवर जाएगी क़िस्मत।"

(Twitter, Atul Kanakk, @atulkanakk)


सुबह-सुबह सूरज ने पूछा

कहाँ बिताई रात कहो

कोई गीत नहीं रच पाए

क्या करते रहते हो

जगत-दिखावे को ही क्या

कागज़ काले करते हो

क्या मंचों पर ताली बजवाना

है चाह तुम्हारी

सच-सच बोलो क्या है

रचनाओं की राह तुम्हारी

(Twitter, अब्दुल साहिद खान, @AbdulSahidKhan4)


कागज़ की #कश्तियों को भी अब पतवार चाहिए,

आजकल #मोहब्बतों को भी इतवार चाहिए|

(Twitter, Harshad Solanki, @Harshad70541757)


मायूस सा बह के निकल जाता है,

ये बरसात का पानी मेरे शहर और गांव से,

शायद कोई नही बचा यहाँ पर जो,

खेलता इस पानी मे"कागज़" की नाव से

(Twitter, Rakesh Kauraw, @KaurawRakesh)


मैने आज़ाद कर लिया ख़ुद को

कोरे कागज़ में पढ़ लिया खुद को,

अब ना बिगड़ेंगी सूरतें न धरम

ऐसे सांचे में गढ़ लिया ख़ुद को !!

(Twitter, रूपा पाण्डेय Rupa Pandey, @lkorupa)


सारे लोग कागज की नाव

को अनदेखा नहीं करते

कुछ लोग उस यात्रा के

साक्षी बनते हैं क्योंकि

उनकी उनके सपने जिंदा हैं

(Twitter, Roopali Tandon, @RoopaliTandon3)


चाँद सितारों से अक्षर

उतरे जो यूँ ही

कागज़ पर,

जाग उठी शाम निराली

और धीरे से धरती पर

मुट्ठी भर चाँदनी बो गयी..!

(Twitter, sunita panwar, @_sunitapanwar)


कोरे कागज

अच्छे नहीं लगते मुझे,

इसीलिए...

मैं उन्हें शब्दों का लिबास पहना देती हूं....!

(Twitter, प्रियांशी..., @priyanshi599)


कई बार सोचता हूँ

लिख दूं हर दर्द , तक़लीफ़

शिकवा शिकायत कागज़ पे

लेकिन फिर सोचता  हूँ

किसे बताऊँ वो दर्द

कौन साथ देगा मेरा

उदास राहों पर

जो मेरा नही उससे उम्मीद कैसी

और

जो मेरा है उससे शिकायत कैसी...

(Twitter, अंशु हर्ष @ashharsh2000)


तुम सीमाओं के प्रेमी हो, मुझको वही अकथ्य है,

मुझको वह विश्वास चाहिए जो औरों का सत्य है।

मेरी व्यापक स्वानुभूति में क्या जानो, क्या बात है।

सब-कुछ ज्यों कोरा काग़ज़ है, यहाँ कोई न घात है।

(Twitter, Hindinama, @Hindinama2)


हाथ में कब से   पैमाना लिए बैठा है

इश्क़ का मर्ज़    पुराना लिए बैठा है

डायरी में शायरी लिखकर मुस्कुराता है,

जैसे काग़ज़ नहीं, खज़ाना लिए बैठा है...

(Twitter, Rohit Teotia, @rohitteotia_rt)


पढ़ा गया हमको

जैसे पढ़ा जाता है काग़ज

बच्चों की फटी कॉपियों का

‘चनाजोरगरम’ के लिफ़ाफ़े के बनने से पहले!

(Twitter, Hindinama, @Hindinama2)


दिल के उजले कागज़ पर हम कैसा गीत लिखें

बोलो तुमको ग़ैर लिखें या अपना मीत लिखें

(Twitter, Hindinama, @Hindinama2)


लिखे जाने के बाद कागज़ इतना ज़िंदा रहे

कि किसी के हाथ में आये तो, आईने सा लगे

(Twitter, Hindinama, @Hindinama2)


अच्छा ये तो बताओ...

इतना बोझ कागज पे कैसे उतार दूँ.... !!

... नाजुक है ये कागज ...

तुम्हारी  तरह  पत्थर  का  नहीं  ना ? ?

(Twitter, @Manchali_Moni)


कभी इक बूँद आँसू से तड़प उठता है दिल अपना

कभी अश्कों की बारिश से ये काग़ज़ नम नहीं होता

(Twitter, archna, @archna02)


हमें दुनिया फ़क़त कागज़ का इक टुकड़ा समझ्ती है

पतंगों में  अगर  ढल  जाएँ  हम  तो  आसमान  छू लें.

(Twitter, Guru Banarasi, @gurubanaarasi)


जब बच्चे ने काग़ज़ खाया माँ ने डाँटा

रो कर बोला माँ काग़ज़ पर खीर बनी थी !!

(Twitter, कवि घर | Kavi Ghar, @Kavi_Ghar)


बहुत से लोग दिल को इस तरह महफूज रखते है,

कोई बारिश हो ये काग़ज़ ज़रा भी नम नहीं होता

ये आंसू है इन्हें फूलों में शबनम की तरह रखना,

ग़ज़ल एहसास है ,एहसास का मातम नहीं होता

(Twitter, ehsaas, @ehsaas1357)


मै तुम्हे ख़्वाबों में देखने की सारी कोशिश करता हूँ

कागज़ पर नाम लिखकर रात को सिरहाने रखता हूँ 😌

(Twitter, ओye लdke, @Shariff_ldkaa)


मासूम सी मोहब्बत का बस इतना सा फसाना है।

कागज की हवेली और बारिश का जमाना है।।❤️💕

(Twitter, Shreeya | श्रिया \\𝐸𝓁𝓈𝒶 stan, @crush_nextdoor)


एक पृष्ठ है भूमिका, एक पृष्ठ निष्कर्ष.

बाकी पन्नों पर लिखता एक सतत संघर्ष.

(Twitter, Morning_star, @kl_lucifer)


मैंने कब कोई कविता सुनाई है?

मैंने बस,

कागज़ को व्यथा बताई है, कलम को अपनी ज़बाँ बनाई है ।

(Twitter, Hindinama, @Hindinama2)


काग़ज़ की हम नाव चलाएँ ।

छप-छप नाचें और नचाएँ ।।

मज़ा आ गया तगड़ा भारी ।

आँखों में आ गई खुमारी ।।

गरम पकौड़ी मिलकर खाएँ ।

चना चबीना खूब चबाएँ ।।

गरम चाय की चुस्की प्यारी ।

मिट गई मन की ख़ुश्की सारी ।

(Twitter, Junjhar Rajpurohit, @JunjharRajpuro3) 


हादसे इंसान के संग मसखरी करने लगे;

लफ्ज कागज पर उतर जादूगरी करने लगे;

कामयाबी जिसने पाई उनके घर बस गए;

जिनके दिल टूटे वो आशिक शायरी करने लगे।

(Twitter, वाघेला नरेन्द्र सिंह, @Darbar302302)


पीपल का ये पत्ता नहीं, काग़ज़ का ये टुकड़ा नहीं...

इस दिल के ये अरमान है, इसमें हमारी जान है....

(Twitter, सौम्या पांडे, @TwInKlInGStaa)


~लिखूंगी जब मैं मेरे दिल को ,कोरे कागज पर ......!!!

~तुम बिखरती हुई ,धड़कन पर गौर करना.....!!!

(Twitter, shalini tiwari, @chand_Alfaaz_hu)


नाज़ुक सा कागज़ ...

दिल के बोझ को उठाए रहा.

(Twitter, Sheetal ✍ शीतल ✍ شیتل, @ssoniisshh1)


ओस से लिखूं, याँ अश्कों से लिखूं,

मै दिल की कहानी कैसे लिखूं

फूलों पे लिखूं ,या हाथों पे लिखूं

होठों की जबानी कैसे लिखूं...?

है दिल की बातें

यूं तो बहुत कुछ कहना है,

बहुत कुछ सुनना है

इस कागज़ के एक टुकड़े पर

मै अपनी कहानी कैसे लिखूं

तुही बता दे मुझे

अपने दिल के जज्बात कैसे लिखू

(Twitter, परवाना, @Parwana1432)


बड़ी आरजू थी...

     कागज पे एहसास लिख दूं...

जो दिल में जल रही है...

              वो आग लिख दूं....!!

गुजर गये जो.सफर ए जिन्दगी...

             वो ख्याब अब किसी के..

                   नाम लिख दूं....!!!

(Twitter, Jagdish Dubey, @Jagdish98933351) 


कागज़ का आविष्कार... भले ही मनुष्यों ने किया हो,

लेकिन मैं सदैव इन्हें प्राकृतिक ही मानूंगा. क्यूँ नहीं?

(Self) 


कलम छोड़ दो मेज पर, काग़ज़ रख दो द्वार

सारी दुनिया जा रही, कवि  जी चलो बज़ार।

(Twitter, ~केदारनाथ सिंह) 


"TONGUE AND FINGERS"

are the perfect combo to flip the pages!!

Paper.... Tastes good.

(Self) 


प्रेम करते रहना चाहिए क्या पता कौन सा प्रेम

आपकी क़लम को कोरे काग़ज़ पर चलना सिखा दे..!!

(Twitter, ~ सौरभ पांडेय) 


न जाने क्यूँ अधूरी ही मुझे तस्वीर जचती है

मैं काग़ज़ हाथ में लेकर फ़क़त चेहरा बनाता हूँ

(Twitter, सारा गोयल, @SarikaA49554450) 


हरदम खामोश नहीं रहता

कागज़ आवाज करता है

किताबों के पन्ने पलटने की आवाज,

रुपयों के फड़फड़ाने की आवाज,

सुबह-सुबह घर के दरवाज़े पर

अख़बार के गिरने की आवाज़.

(Self) 


*प्रिय लिखकर...*

*मैं नीचे लिख दूँ नाम तुम्हारा...,*

*कुछ जगह बीच में छोड़ दूँ...*

*नीचे लिख दूँ ‘सदा तुम्हारा’...,*

*लिखा बीच में क्या....*

*यह तुमको पढ़ना है...,*

*कागज़ पर मन की...*

*परिभाषा का अर्थ समझना है....,*

*जो भी अर्थ निकालोगी तुम...*

*वह मुझको स्वीकार है....!*

*झुके नयन, मौन अधर...*

*या कोरा कागज़...,*

*अर्थ सभी का प्यार है...!!!*

💕💕💕💐💐💐☺️😎

-Jai Prakash, whatsapp 


सूझे न जब समस्या का कोई निदान,

कागज़ पे लिखो, तब मिलेगा समाधान

(Self) 


जब जन्मा तो रिक्त था

कोरे काग़ज़ सा व्यक्तित्व था

अनभिज्ञ था अनजान था

बहुत अल्प मेरा ज्ञान था

तद् सानिध्य मिला ज्ञानियों का

तथाकथित सम्माननीयों का

उनका उवाच था कि कठिन है

जीवन पथ बेहद जटिल है

(Twitter चौबेजी.., @Choubey_Jii)


लानत भेजिए सरमद साहब ऐसे ख़स्ता हालों पर

बोसे लेंगे काग़ज़ के और शेर कहेंगे गालों पर

(Twitter, Guru Banarasi, @gurubanaarasi)


Lingerie is just expensive wrapping paper.

It's the present that counts.

(Twitter, al - he/him, @kingbadger)


कोरे कागज पे अपने जज्बात लिखते हैं

जो दिल तक पहुंच जाए ऐसी बात लिखते हैं

(Twitter, Annu Chauhan, @AnnuCha70795759)


प्यार लिखा एहसास लिखा

और तुम्हारा नाम लिखा।

#कोरे_कागज़ पर हमनें

अपने दिल का हाल लिखा।

(Twitter, Poonam Mishra, @PoonamM42464986)


~लिखूंगी जब मैं मेरे दिल को ,कोरे कागज पर ......!!!

~तुम बिखरती हुई ,धड़कन पर गौर करना.....!!!

(Twitter, shalini tiwarishalu, @chand_Alfaaz_hu)


'शरद पूर्णिमा' के "चांद" को निहार रही हूँ

कोरे कागज को कलम से संवार रही हूँ

(Twitter, jyoti, @fire_girl_17)


मुस्कुरा उठते हैं सूरज के निकलते ही अल्फ़ाज़,

देने लगते वो कोरे काग़ज़ कलम को बार बार आवाज़ ।

(Twitter, Dipanshi, @cuty_dipanshi) 


जरूरत, शोहरत, विश्वास, और रिश्ते

सभी एक कागज के गुलाम है जिसे हम पैसा कहते है...!!

(Twitter, रिखव शाह, @shah_rikhav77)


विद्यालय में रची खूब कविताएँ

इसलिए  दुत्कारा

मुझे हिंदी के मास्टर ने भी

मरोड़े मेरे कान

फाड़ डाले सारे कागज़

दरअसल, वे कागज़ नहीं

कविताएँ

फाड़ना चाहते थे

लेकिन कविताएँ नहीं फटती

सो उन्हें कागज़ फाड़ कर

संतुष्ट होना पड़ा

(Twitter, भास्कर 'कविश' بھاسکر کاوش۔, @Bhaskarkavi5)


जला के तीलियाँ अब दोस्त मिलने आया है,

कि मैने आज इक क़ाग़ज़ का घर बनाया है..!!

(Twitter, आरती सिंह, @AarTee33)


मैं काग़ज़ बेरंग.....

तू रंगरेज़ मेरे अल्फ़ाज़ों का !!!

(Twitter, Radhika Khera, @Radhika_Khera) 


काग़ज़ पर गिरते ही फूटे लफ़्ज़ कई

कुछ धुआं उठा...चिंगारियां कुछ

इक नज़म में फिर से आग लगी..

(Twitter, Margret., @margret_017)


कोरे कागज़ पर दर्द लिख कर जलाया जाए

लगाकर गले उम्मीदों को थोड़ा मुस्कुराया जाए।

(Twitter, नेहा यादव, @poetessneha22)


कोरे कागज पे अचानक खिलखिलाते हाशिये,

जब भी अपने हक की खातिर जाग जाते हाशिये।

(Twitter, #काव्य_कृति✍️@KavyaKriti_)


सोचा था हजारों लफज लिखेंगे, तुम्हें सामने बिठाकर..

नजर तुम्हारे चेहरे पे क्या ठहरी, कागज कोरे रह गए....

(Twitter, पुनीत पांडेय@022BJP)


कोरे कागज पे लिखदूं मै ख़ुदको,

मगर अभी कहां कलम स्याही से भरी है.....!!!

(Twitter, 💗 बिखरे - अल्फाज़ 💗@Parvejk30834371)


कोरे काग़ज़ पे क़लम से क़लाम लिखा

जज़्बात उबल पड़े, पन्ने पे आबले उभर आए

(Twitter, Older, Wiser, Happier, @thathappydad)


अगर आप बेहतर लिखना जानते हैं,

तो केवल एक कोरे कागज़ पर लिखकर,

आप सुनहरे भविष्य को भी,

स्थापित कर सकते हैं।

(Twitter, manish jaiswal, @manishmannmj87)


सब्र रख ए ज़िंदगी वो मुकाम भी आयेगा,

कोरे कागज़ के पन्नों पर छप कर तेरा नाम भी आयेगा

(Twitter, Deepshikha Jha, @shikhadeep882)


एक सूखी पत्ती गिरी है किसी डाल से मेरी डायरी के कोरे काग़ज़ पर…

अब क्या लिखूँ उस जगह पर जहां टूट कर कोई गिरा हो ?

(Twitter, Shyamvir Singh Jhajhoria, @ShyamvirBTP)


मेरे लफ्ज कुछ नही बेइंतेहा इश्क का तजुर्बा है,

दर्द हद से गुजरता है, कोरे कागज पे उतरता है।

(Twitter, *, @may_kash)


कौन ने, कब लिखे, किसके लिए ख़त,

ये ग़म हैं, कि तनहाइयाँ, कोरे कागज़ पर|

(Twitter, A K Saxena, @AjaiKSaxena)


तू मेरी है प्रेम की भाषा ,

लिखता हु जिसे रोज जरा सा ,

कोरे कोरे कागज़ ,

दिल मे जरा सा आ आ।

(Twitter, Aanvi, @sainiaanvi4)



इस जन्म में कई बार लगा कि औरत होना गुनाह है... लेकिन यही गुनाह मैं फिर से करना चाहूँगी, एक शर्त के साथ, कि ख़ुदा को अगले जन्म में भी,  मेरे हाथ में कलम देनी होगी।

~ अमृता प्रीतम


महोदया, कागज़ ने आपका क्या बिगाड़ा है? आपकी कोई भी रचना, आपकी कोई भी कविता, आपका कोई भी एक लेख कागज़ के बिना मात्र कलम से लिखा जा सकता है क्या? कागज़ जरूरी है. Use Paper, Love Paper.

D K Singhal


Any election....

You may avoid-

paper in campaigning,

You may avoid-

paper for voting.

But,

The winner must

have to receive

a winning certificate

printed and signed

only on


PAPER


Winners... Love Paper. (Self)


नज़्म उलझी हुई है सीने में

मिसरे अटके हुए हैं होंटों पर

लफ़्ज़ काग़ज़ पे बैठते ही नहीं

उड़ते फिरते हैं तितलियों की तरह

कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम

सादा काग़ज़ पे लिख के नाम तिरा

बस तिरा नाम ही मुकम्मल है

इस से बेहतर भी नज़्म क्या होगी!

#गुलज़ार

(Twitter, Sujoy, @Sujoy0001) 


A war can be stopped

only if both parties agree 

to sign their willingness for it

on a PAPER.

PAPER ENDS WARS.

Use Paper, spread love. (Self)



बेवफ़ा ने खत कभी भेजे ही नहीं कैसे जलाऊं यादें ...

फोन मंहगा है जलाते हुए डर लगता है !!!

(Twitter, Sethi.mani, @Sethimani2)

Hence proved again, "Paper is Important"

-D K Singhal


चेहरा भी दिख जाता है व्हाट्सएप कॉल में

लेकिन वो भी बनावटी होता है इस जिंदगी के जंजाल में

कागज पे लिखे शब्द उतरते थे दिल में

क्योंकि पढ़ सकते थे बार बार

कॉल तो एक बार होने के बाद करते रहो अगली का इंतजार

(Twitter, Anil Jain, @anil20586) 


उतार दो कोरे काग़ज़ पर मुझे,

(अपनी) स्याही में कुछ यूँ मिला लो,

मुझमे (मैं) ज़रा सी भी बाकी ना रहें

जो रहें वो बस (तुम्हीं) में रहें.  🍁

(Twitter, ❣︎ Womaniya, @devilshe11)


आग में लिपटे मकाँ की दास्ताँ लिखते हुए

काँपते हैं हाथ काग़ज़ पर धुआँ लिखते हुए

(Twitter, Rajesh Reddy, @Rajeshreddyvb)


बनाके देखा है काग़ज़ पे मैंने दिल अपना

कि नाम लिखते ही तेरा धड़कने लगता है

(Twitter, VIJENDRA, @mirzabikaneri)


काग़ज़ पर गिरते ही फूटे लफ़्ज़ कई

कुछ धुआं उठा...चिंगारियां कुछ

इक नज़म में फिर से आग लगी...

(Twitter, Margret., @margret_017)


कुछ ख़त निकाल रखे है जलाने को,

कागज़ तो धुआँ हो जायेगे पर कहानी का क्या...

(Twitter, Annie Singh ✍️, @o_positive_)

-That's why, don't burn paper. Recycle it.


ये दुनिया तुम को रास आए तो कहना

न सर पत्थर से टकराए तो कहना...

ये गुल काग़ज़ हैं ये ज़ेवर हैं पीतल

समझ में जब ये आ जाए तो कहना...

(Twitter, Margret., @margret_017)


लिखे थे शाख के पत्तो पर वही अब तक सलामत हैं

काग़ज़ के टुकड़ों पर लिखे हर लफ्ज़ धुआँ हो गए.

(Twitter, चौधरी विजय, @VjChoudhary87)


ओस से लिखूँ या अश्कों से लिखूँ

मैं दिल की कहानी कैसे लिखूँ

      फूलों पे लिखूँ या हाथों पे लिखूँ

      होंठों की ज़बानी कैसे लिखूँ

है दिल की बातें बहुत सारी

यूँ तो बहुत कुछ कहना है

कुछ सुनना है

       इस कागज़ के एक टुकड़े पर

       मैं अपनी कहानी कैसे लिखूँ..

(Twitter, Puskal Singh, @PS_0032__)


रोज मेरी कलम वो लिख जाती है,

जो शायद वह हरगिज नहीं चाहती है।

बेगैरत ना समझो इस कलम को कोई,

ये तो बस कागज की प्यास बुझाती है।

(Twitter, राघवेन्द्र सिंह गहलोत(पत्रकार), @ThakurRaghvan)


आँगन में ईंटों की बसें घूमती थी

बिना बात दादी माथा चूमती नहीं

अब तो जहाँ देखो कागज़ के किरदार है

मन नहीं लगता, बड़ा पेचीदा कारोबार है

(Twitter, Chandrama Deshmukh, @chandramawrites)


तेरे नाम का रायता मैंने, इसकदर एक कागज़ पर फैलाया था ।

चाट कर कागज़ मैंने , अक्सर अपनी प्यास को बुझाया था ।।

(Twitter, Garima 🇮🇳, @JhoomBasanti)


थोड़े में ज्यादा के लिए पहले जीना सीखो

ज्यादा न हो तो कम में मुस्कुराना सीखो

कागज़ की कश्ती तैर जाती है कुछ बूंद पानी में

तो खुश रहो जो मिला जिंदगानी में।

(Twitter, डॉ.नीतू शर्मा, @NeetuSh92264941)


कुछ अश्कों की कुछ बारिश की बूंदों की तलाश है

कुछ कागज़ सूखे हैं थोड़ी आँखों मैं भी प्यास है

(Twitter, साhiबा, @Sahibaliscious)


कागज की गिलहरी...कागज की जलकुंभी...कागज की मछलियाँ तैरायेंगे

लगेगी जब प्यास...कागज़ में कुआं खोदेंगे...कागज में तालाब बनाएंगे

(Twitter, महावर, @im___praveen)


उड़ जा उड़ जा प्यासे भँवरे, रस ना मिलेगा ख़ारों में;

कागज़ के फूल जहाँ खिलते हैं, बैठ ना उन गुलज़ारो में;

नादान तमन्ना रेती में, उम्मीद की कश्ती खेती है;

इक हाथ से देती है दुनिया, सौ हाथों से लेती है;

ये खेल है कब से जारी;

बिछड़े सभी, बिछड़े सभी बारी-बारी...

(Twitter, माधुरी जैन, @ItsMadhuriJain)


ना आँखों से छलकते हैं..

ना कागज पर उतरते हैं...

कुछ लफ्ज ऐसे होते हैं...

जो हम दोनों ही समझते हैं..

(Twitter, мя. gяєєи 🕊️, @iGreenGod)


"तू समन्दर है तो क्यूँ आँख दिखाता है मुझे,

ओस की बूंद से प्यास बुझाना आता है मुझे"

"यही अंदाज है मेरा समन्दर को फतह करने का,

मेरी कागज की कश्ती में कई जूगनु भी होते है"

(Twitter,

VISHAL BATHiNDA 🇮🇳, @__iMVishal)


जब भी लगती है उन्हें प्यास

वे लिखते हैं

खुरदुरे काग़ज़ के चिकने चेहरे पर

कुछ बून्द पानी

और धधकने लगती है आग !

इसी आग की आँच से

बुझा लेते हैं वे

अपनी हर तरह की प्यास!

आग और पानी को

काग़ज़ में बाँधकर

जेब में रखना

सीखे कोई उनसे !

(Twitter, Narpati Chandra Pareek, @pareeknc7)


रद्दी भी, परखी जाती है।

तब जा के, क़ीमत मिलती है॥

तूझे भी, कोई परख रहा है।

तो फिर इस में, गलत क्या है॥

(Twitter, Puja, @Puja97342503)


गुलशन गुलशन सपने बोओ पनघट पनघट प्यास लिखो।

मन के कोरे कागज पर तुम प्यार का हर अहसास लिखो।।

(Twitter, girish sharma, @girishs30502017)


कभी क़ीमत, जुबान की थी।

फिर क़ीमत, कागज़ की हुई॥

अब तो वक्त, दोनों को बुरा हैं।

क़ीमत अब, मतलब की हुई॥

(Twitter, Arvind yayawar, @ArvindYayawar)


ज़िन्दगी में ज़बान से ज़्यादा , कागज़ की क़ीमत नहीं होनी चाहिए ..!

(Twitter, तख्तियाँ, @takhatiya)

But why? Please let paper professionals survive.


बेहद कठिन है

एक कवि की प्रेयसी होना।

जब तुम

उससे प्रेम की अपेक्षा रखोगी

वह तुम्हें दर्जनों प्रेम

कविताएं भेंट करेगा।

जब तुम उससे वक्त मांगोगी

वह तुम्हें कागज़ पर

वक़्त की कीमत समझायेगा।

(Twitter, परवश, @Arvind_Rimha)


सुनो, मरना ज़रूरी है सो जीना चाहतl हूँ मैं

मुहब्बत में वो सावन का महीना चाहत! हूँ मैं

लिखो तो इक दफ़ा दो बून्द मेरी प्यास काग़ज़ पर

तुम्हें पढ़कर, तुम्हारे लफ़्ज़ पीना चाहत! हूँ मैं

(Twitter, тн℮ एक्सीडेंटल स्टूडेंट⭕, @sachinthakur_08)


बूंद का

सागर को छूना

#संन्यास है!

स्याही का

#कागज को छूना

प्यास है!

(Twitter, ¶चित्रलेखा¶, @fakira_fakir)


कागजो का खेल ही तोअबतक

इस त्रिभुजी मानचित्र पर खेला गया।

बचपने का खेल कागज,वही

तो बुढ़ापे तक खेला गया।

उड़ाये गये स्वप्नो के कागज,फिर

नाव बना पानी मे छोड़ा गया।

कागजी योजना,माटी तो देखी नही

कागजो पर बना,कलम तोड़ा गया।

कागजो पर शेर,कागजो पर ढेर

पहाड़ कागजो का,ही तो छोड़ा गया।

(Twitter, Manvendra Kumar, @Manvend59913658)


कागज़ की क़ीमत इंसान ने तय की अब इंसान की क़ीमत कागज़ तय कर रहा।

(Twitter, Aashi, @aashi_871)


कागज कीमती होता है, लेकिन..

हर कागज की कीमत नही होता  ।।

(Twitter, आरोग्या✿🇮🇳, @Aarogyaa26)


कहीं खोया ख़ुदा हमने कहीं दुनिया गंवाई है

बड़े शहरों में रहने की बड़ी क़ीमत चुकाई है

कभी तो नूर फैलेगा तिरे काग़ज़ से दुनिया में

लिखे जा जब तलक तेरे क़लम में रोशनाई है

(Twitter, Shakeel Azmi, @PoetShakeelAzmi)


मुड़ा - तुड़ा काग़ज़ हुआ, सूरज का विश्वास

बादल भी लिखने लगे,बुझी अनबुझी प्यास

(Twitter, अंजान भगत, @taroobaa)


एक पेड़ कटा, बना 

मेरे घर का दरवाजा

एक पेड़ कटा, बनी 

मेरे कमरे की खिड़की

एक पेड़ कटा, बनी

मेरे आराम की कुर्सी

एक पेड़ कटा, बनी

मेरे पढ़ने की मेज़

.

एक कागज़ रखा था मेज़ पर,

ज्ञात नहीं, किससे बना था

रीसायकल किये गए कागज़ से

चावल की भूसी से

गन्ने की खोई से,

या फिर बांस से

या शायद, कभी कहीं

कटा था एक पेड़.

शायद, एक अकेला पेड़ कटा,

और ले गया सारा इल्ज़ाम

कागज़ बनने का अपने ऊपर.

.

फर्नीचर, चमचमा रहा है

बेख़ौफ़, गर्व से,

कोई इल्ज़ाम नहीं है

उसके ऊपर                                  (Self)



कुछ किस्से दिल में, कुछ कागजों पर आबाद रहे,

बताओ कैसे भूलें उसे जो हर साँस में याद रहे !!

लफ़्ज, अल्फ़ाज, कागज़ और किताब,

कहाँ कहाँ नही रखती मैं तेरी यादों का हिसाब !!

(Twitter, 💕🌹*•.¸♡🅙🅢♡¸.•*🌹💕, @Mj16111980)



कागज़ पर स्याही से

लफ्ज़ आबाद करता हूँ

मन खिल सा जाता है

जब तुमसे बात करता हूँ

(Twitter, 🌈𝕯𝖗𝖊𝖆𝖒 𝖒𝖊𝖗𝖈𝖍𝖆𝖓𝖙 𝕬+.22𝖋𝖈🤍🚬™, @dadajay001)


कुछ जाली कागज मेज पर पड़े।

ऐसे कागज आए दिन पड़े

ही रहते हैं -

साहब की मुहर की राह में।

एक मुहर सरपंच को बंगला दे देगी,

तो एक मुहर कागज पर सड़क

बना देगी,

कोई मुहर कागज पर पानी

निकालेगी नल, कुओं वाला।

खैर, अभी तो कागज जाली हैं,

मुहर जाली न हो जाए।

(Twitter, सत्यव्रत रजक @Satyavrat_R)


लफ़्ज़ को चेहरा ऊपर वाला देता है

हम तो ख़ाली काग़ज़ काला करते हैं

(Twitter, आशुतोष प्रसिद्ध, @iamprasidha)


बड़ी आरजू थी...कागज पे एहसास लिख दूं...!

जो दिल में जल रही है...वो आग लिख दूं....!!

गुजर गये जो सफर ए जिन्दगी...!

वो ख्याब अब किसी के ,नाम लिख दूं....!!

(Twitter, 🍃नादान__इश्क 🦋(_ANJALI_)✨, @Its_Anjali_03)


कागज पे उतार दूँ तो अल्फाज हो तुम

आँखो में बसा लूँ तो एक ख्वाब हो तुम

रब से मांग लूँ तो मन्नतों का जवाब हो तुम

और क्या लिखें मेरे हर सवाल का जवाब हो तुम ।।

(Twitter, Roselife, @ajnabeeaislinn) 


रावण नही मरा करते कागज के पुतले बांस बल्ली से,

अपने भीतर के रावण को मार सोच जरा तसल्ली से

(Twitter, PrAvEeN SiNgH (खामखाँ शायर), @Prvn_sngh)


जीवन पुस्तक फट जाती है, कागज पीला हो जाता है

आंसू कोई लाख छुपाए, दामन गीला हो जाता है

बच्चों के सच्चे जहनों में झूठी बातें ,मत डालो

कांटो की सोहबत में रहकर फूल ,नुकीला हो जाता है

(Twitter, Abhishek Yadav, @Abhishe49430959)


पहले चढ़ता है इक चेहरा आँखों में

फिर काग़ज़ पर शेर उतरने लगते हैं

(Twitter, Aman Chandpuri, @ChandpuriAman)


दर्द  था  कोई  ग़ज़ल थी या कोई चेहरा था

अब नहीं याद कि काग़ज़ पे उतारा क्या था

(Twitter, Guru Banarasi, @gurubanaarasi)


"सूरज" गीला "गीला" सा

"प्यारा" लगता "बारिश" मे

"भीगा" दिल का "कागज़"

तेरी "यादों" की "बारिश" मे

"आंखो" मे "चेहरा" उसका

"कविता" बन गई "बारिश" मे

(Twitter, Krishna, @Devdeep02) 

यूँ तो हमें, हर रोज़ लिखता हैं वो

बस,निगाहें काग़ज़ पर रखता हैं।

(Twitter, सरिता डांगी, @sarita_dangi1)


कलम ने उठकर

चुपके से कोरे काग़ज़

से कुछ कहा और

मैं स्याही बनकर बह चली

मधुर स्वछ्न्द

गीत गुनगुनाती,

उड़ते पत्तों की

नसों में लहलहाती!

(Twitter, @काव्य_रस, @Kavya_Ras)


जानती हो ! मुझे आज भी याद है तुम्हारी वो पहली चिट्ठी। उस सफेद कागज के कोने में एक फूल उकेर कर, तुमने अपना नाम लिखा था बस.. पर, अब तक मैंने उसे हजारों बार पढ़ा और मुस्कुराया।

तुम्हारे नाम में मेरे लिए हजारों शब्द हैं, और उस एक चिट्ठी में हजारों चिट्ठियां। ❤️❤️❤️

(Twitter, मल्हार, @prem_saarang) 


कुछ किस्से बन कर कागज़ पर बिखर जाऊंगा

जिस नज़रिए से देखो वैसा ही नजर आऊंगा

(Twitter, देवツ, @bewkooff_)


अब हम,

दिल्लगी भी करते हैँ तो बस उम्रदराज़ से,

सुना है उड़ते नहीं,

पुराने कागज़ अक्सर दराज़ से....

(Twitter, Annu, @Annu208466031)


हमे लिखना ना तूने सिखाया ना तेरे इश्क़ ने ही

तन्हाई में कुछ रिसता है कागज़ पे समेट लेते हैं

(Twitter,

सूरमा भोपाली ✍️, @Surmaa_Bhopalii)


सात समुंदर की मसि करूं, लेखनी करूं वनराय।

धरती का कागज करूं, गुरु गुण लिखा न जाए।।

(Twitter, कबीर परमेश्वर की दया, @God_kabir__)


फिर से लौटना होगा, काग़ज़ की फूल बनाने को, काग़ज़ के नाव को यू ही पानी में तैराने को, नन्हें - नन्हें बच्चों को एक नई दुनिया बनाने को, विद्यालय की आंगन फिर से गुलजार होगी। ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद फिर से हरियाली आएगी.....

(Twitter, Jitendra, @jitendra27493)


क़िस्सा मिरे जुनूँ का बहुत-बहुत याद आएगा

जब जब कोई नाव कागज की पानी में तैराएगा.               (Self)


कोई पथरीली जमीं होती तो उग आती मगर

घास बालू में उगाना दोस्तो आसां नही

एक तो है तेज पानी और उस पर बारिशें

नाव कागज़ की बहाना दोस्तो आसां नही

आदमी बनना है तो कुछ ख़ूबियां पैदा करो

आदमी ख़ुद को बनाना दोस्तों आसां नही

(Twitter, @काव्य_रस, @Kavya_Ras)


हम पढ़ा करते थे ख़्वाब, कागज़ के पुर्ज़ों को जोड़ के

डिजिटल दुनिया ने यह, शौक भी हमसे छीन लिया              (Self)


हर बहती हुई चीज़

एक दिन

सही जगह पहुंच ही जाती है

चाहे वो

जिंदगी हो

वक्त हो

या कागज़ की नाव ...

(Twitter, Parth 🌻, @parth_9811) 


कुछ तो है कागज में अपने जैसा। 

वरना दिल चीर कर कागज पे कैसे लिखता?

Mayank Jindal, Paper Technologist


बारिश की और काग़ज़ की कश्तियाँ


बारिशों में तैरती वो कागज़ की कश्तियाँ ।

बचपन की वो मासूमियत और मस्तियाँ ।

(Twitter, बावरा, @_dhakkan_)


अब बारिश के पानी में कागज की कश्तियाँ नहीं तैरती, आजकल की माँम को अनहाइजीनिक लगता है ये ।

(Twitter, Shweta Sharma, @_shabd)


कागज़ की कश्तियाँ बहुत बना ली

चलो अब इक बड़ा जहाज बनाते है,

चिड़ियों की तरह डर कर नही जीना है

खुद को आज “बाज” बनाते है...

(Twitter, टीम @LDC3600 राजस्थान🔰, @LDC3600)


तेरी बातें थी या कागज़ की कश्तियां,

पानी मे बहता ये अजब सा शिकवा था...

(Twitter, Himanshii, @Himanshiii_)


इस शहर में है "जुर्म" देखना सपने,  हमारी आँख की अक्सर तलाशियाँ होंगी...

हमारी नींद में सपने जहाज के होंगे, पर हाथ मे कागज_की_कश्तियाँ होंगी !!

(Twitter, alka_aditi, @aditiagrawal312)


बारिशों से लड़ती ,

डूबती उबरती

कागज़ की कश्तियाँ देखीं हैं  ??

बस ,

यही है ज़िन्दगी !!

(Twitter, Modified Renu, @renu_18)


आज लौटा है वो बचपन

बारिश की बुंदों के साथ

वो कागज की कश्तियाँ

वो छोटी सी नदी

जिसमें हमारे जहाज तैरा करते थे

जो थोड़ी दूर जाकर डुब जाया करते थे

हम भी कहाँ माना करते थे

फिर से एक कोरा सपना फाड़कर

शांत लहरों में कश्ती बना छोड़ देते थे

मंजिलें करीब हुआ करती थी

पहुँच जाया करते थे

(Twitter, Meena Mahar, @Meena43746790)


कागज़ की कश्तियाँ

तो आज भी बनाता हूँ मैं

पर चलाने के लिए नहीं,

बचपन की यादें साफ करने के लिए

(Twitter, Jimmy.....!, @hook_up__)


खड़े हैं रेत में काग़ज की कश्तियाँ ले कर ,

मिला है हुक्म कि दरिया को पार करना है।

(Twitter, shubhi, @_Shubhi12)


वो मस्तियां

वो कागज़ की कश्तियां

वो बारिश की छपा छप

वो स्कूल की घंटियां

सावन के झूलों पे

#झूलती बच्चियां

वो पार्कों में

गहमा गहमी

वो सजती मिठाई की दुकानें

कुछ वक्त से ना जाने

कहां हैं वो मौसम सुहाने

वक्त दर्द भी है हमदर्द भी है

जो भी है मगर

वक्त वक्त ही है।

(Twitter, डॉ.नीतू शर्मा, @NeetuSh92264941)


बचपन से जवानी तक का सफर 🙂 > पहले कागज की कश्तियाँ बनाकर बारिश के पानी में चलाया करते थे ओैर आज जिंदगी की कश्ती आगे बढ़ाने में लगे है 🙂

(Twitter, A J A Y, @LonWolfhere)


टपकती छत, गीला चूल्हा, तालाब से आंगन कहाँ सताते थे,

जब हम बारिश में नहाते थे, कागज की कश्तियां चलाते थे।

(Twitter, Virender Sindhu, @Virendersindhu)


बारिश की बूँदों ने फ़रमाया है…

तेरी हवाओं का झोंका फिर आया है

मेरी काग़ज़ की कश्तियाँ तैयार हैं

आज फिर तूफ़ान कोई ले के आया है …

(Twitter, Nikunj Sharma, @Moneyogi)


समंदर ने बड़े प्यार से सहलाया उसे ...

अब वो कागज की थी तो गल गई ...

कश्ती की कमजोरी भी ...

समंदर के माथे पड़ गई ...

(Twitter, Whistle_Blower 🐦, @Aanuj_I)


तन भी भीगा मन भीगा भीग गयी मेरी जान

डूब के तेरे प्यार में पागल डूब गयी पहचान

कागज की कश्ती में बैठे बहते रहे किनारे

अब तो ये मझधार ही प्रियतम शायद मेरे सहारे

(Twitter, Pankaj Tripathi, @Tripathi1Pankaj) 

बेसहारा शब्द जब थक जाते हैं

कागज पर बैठकर ही सुकून पाते हैं

(Self)


रिश्तों की गहराई लिख

हर काग़ज़ पे खाई लिख

उस पे ही इल्ज़ाम न धर

ख़ुद को भी हरजाई लिख

मुँह मत फेर हक़ीक़त से

शे'रों में सच्चाई लिख

क़िस्सा झूट लगेगा सब

मत इतनी अच्छाई लिख

चाहत के अफ़्साने का

उनवाँ ही रुस्वाई लिख 🦋

(Twitter, Bimla Verma 🦋, @BimlaVerma6)


#निःशब्द रचना बनकर भी

#पहचान बनाना चाहती हूं

भाव समझ ले और

उतार दे कागज पर कोई

उस कलम में ढलना चाहती हूं।

(Twitter, डॉ.नीतू शर्मा, @NeetuSh92264941)


कागजों पर उतार देते हैं .....तकलीफ सारी...

ये शायरी करने वाले..... खुदकुशी नहीं करते..

(Twitter, अंततः अघोरी Ӝ̵̨̄, @prashnt_chandel)


कागज का ये लिबास बदन से उतार दो,

पानी बरस गया तो किसे मुंह दिखाओगे ।।🔥🤘

(Twitter, 🎭 मानव ❣️ 🇮🇳, @MANAVSINGH_IND)


कागज का ये  लिबास  चिरागों के शहर में

जरा संभल संभल कर चलो तुम नशे में हो

(Twitter, ब-दस्तूर, @BaDastoor) 


काग़ज़ के दरवाजे है,

रेशम की है खिड़कियां ।

बड़ा नाज़ुक है मेरी ख्वाहिशों का मकान ।।

(Twitter, बावला छोरा, @virurathore98)


पहले आहट को पहचानिए तो सही

जल्दबाज़ी में मत खिड़कियाँ खोलिए।

भेज सकता है काग़ज के बम भी कोई

ऐसे झटके से मत चिटिठयाँ खोलिए।

जिसको बिकना है चुपके से बिक जाएगा

यूँ खुले आम मत मण्डियाँ खोलिए।

(Twitter, Madhusudan 🇮🇳, @Madhusudan222)


दरवाज़े और खिड़कियाँ भी बंद है,

टेबल पर रखे कागज भी उड़ते नही अब तो।

(Twitter, बेवजहा के ख्याल, @MeriKhanii)


पेड़ ने फैलाई अपनी टहनियाँ दोनों तरफ़

लांघ के दीवार आईं तितलियाँ दोनों तरफ़

अब कहां से लाऊँ दो चेहरे सजाने के लिए

किसने काग़ज़ पर बना दी खिड़कियाँ दोनों तरफ़

(Twitter, Fani Jodhpuri, @FaniJodhpuri)


मैं उठता हूँ और उठकर

खिड़कियाँ, दरवाजे

और कमीज़ के बटन

बन्द कर लेता हूँ

और फुर्ती के साथ

एक कागज़ पर लिखता हूँ

'मैं अपनी विफलताओं का प्रणेता हूँ ।'

(Twitter, Alind Maheshwari, @theBookwalla)


दिल... दिमाग और जज्बात

सब ढूंढ़ते है तुम्हें

कहाँ कहाँ नहीं रखता मैं तेरी बातों का हिसाब

आइना...खिड़कियां और वो सूना कमरा

सब पूछते है तुम्हे

कहाँ कहाँ नहीं रखता मैं तेरी वजूद का हिसाब

लफ़्ज़...कागज़ और किताब

सब खोजते है तुम्हें

कहाँ कहाँ नहीं रखता मैं तेरी यादों का हिसाब

(Twitter, धैर्य🗿, @Dherya_)


ज़ुबां पर फूल होते हैं, ज़हन में ख़ार होते हैं,

कहाँ दिल खोलने को लोग अब तैयार होते हैं.

ये सारा वक़्त काग़ज़ मोड़ने में क्यों लगते हो,

कहीं काग़ज़ की नावों से समंदर पार होते हैं.

(Twitter, विलुप्त आवाज़, @YourLostVoice) 


लिखना किसको कहते हैं,

पूछो उन फनकारों से।

लोहा काट रहे हैं देखो,

कागज़ की तलवारों से।।

(Twitter, @Manohar -Dhangar journalist 263)


उलझना तो हमें है... बंजर ज़मीनों की हक़ीक़त से...

उन्हें क्या, वो तो बस काग़ज़ पे फुलवारी दिखाते हैं...!!

(Twitter, Rohit kushwah, @heyy_rohit)


दर्द जितना भी मिला मुझे इस जमाने से

सजा दिया कागज पर, मैंने बहाकर आंखों से

(Twitter, क्षमा 💫, @RawatKshama)


लिखने वाले ने ह्रदय

को कागज पे बिखेर दिया

पढ़ने वाले

कुछ वाह -वाह कर गए

कुछ

शब्दों की बारिकियों को

ढूढ़ने में रह गए ||

प्रिया मिश्रा :))

(Twitter, 0, @helping_hand111)


जज़्ब है कोरे  काग़ज पे कई रंगीन फसाने ,,

वो तेरी जुस्तजू वो मोहब्बत के गुज़रे ज़माने,,

(Twitter, शब की सहर, @UshaRan81773338)


किरदार कागज पर बिक रहा है,

अजीब सा ढोंग जमाने में चल रहा है..

(Twitter, Prem Thakurele, @PremThakurele)


जमाने को लहू पीने की लत है

मगर फिर भी यहाँ सब खेरियत है

लिखे हैं गीत बरसातों के जिस पर

हमारे घर पे उस काग़ज़ की छत है!

(Twitter, Mohd Javed Warring, @MohdJavedINC)


प्रिय ! लिखकर..नीचे लिख दूं नाम तुम्हारा

कुछ जगह बीच में छोड़,नीचे लिख दूं सदा तुम्हारा

लिखा बीच में क्या? ये तुमको पढ़ना है

कागज पर मन की भाषा का अर्थ समझना है

जो भी अर्थ निकालोगे तुम मुझ को स्वीकार है

झुके नैन..मौन अधर..या कोरा कागज..

अर्थ सभी का प्यार है

(Twitter, 🦋🦋 🌹🅟🅤🅢🅗🅟🅐🌹, @mahadev2708)


कुछ जो कचोट रहा था ह्रदय को ....

उतार कर उसको कागज पर सुकून आया....

(Twitter, #कृष्णिका❤️, @Krishnika40_)


अपनी रचना, उन कागज़ में लिख दूं...

जहां सुह्रद-कलम लिखे, और मन सुने ..

अपनी रचना उन कागज़ में लिख दूं...

जहां ह्रदय बोले, वो तुम तक पहुंचे...

कहो रचना, उन कागज़ में लिख दूं...

एकात्म होकर, भाव को पढें...

कहो रचना, फिर कागज़ में लिख दूं...

(Twitter, *गीत, @u_me_together)


अक्षर अक्षर संयोजित कर

अनुभव सेे शब्द बनाती हूँ

कोरे कागज पर फिर

स्याही से उन्हें सजाती हूँ

तब जाकर के कलम मेरी

दिल की भाषा लिख पाती है

कवि ह्रदय से निकली वाणी

पावन कविता कहलाती है...

(Twitter, Renu Sharma, @Renu725)


कागज़ की कतरनों को भी कहते हैं लोग फूल,

रंगों का एतबार न कर, सूंघ के भी देख ..

(Twitter, Avinash Das, @avinashonly)


रत्ती भर सी कविताएं

ढाँप लेती है,

हमारे ब्रह्मांड से

विस्तृत दुःख

कलम की

धमनियों में बहता

नीला रक्त

परिभ्रमण करता है

जब कागज़ के ह्रदय में

वे बेजान कागज़

जी उठते है

मुखर हो जाते है

काग़ज़ों के सारे मौन

(Twitter, .नारायणी, @Narayni11)


मष्तिष्क  आज  तक  सुनता रहा I

आज आप  कहेंगे तो ह्रदय सुनेगा I

विचार तो कागज़ के फूल होते हैं I

प्रेम महक  सार्थक ह्रदय ही  देगा I

(Twitter, Acharya Ashok Nehra, @AcharyaNehraji)


कागज़ पर खिंची लकीरें

एक इतिहास रचाती हैं

ह्रदय पर अगर पड़ जाएँ लकीरें

दर्द का आभास कराती हैं.

(Twitter, manoramash, @manoramash)


पूछा उनसे तो बतलाया, उमर हुई अब 48 साल,

किन्तु अभी भी युवा ह्रदय से, देखो इनके रक्तिम गाल..

विश्वविद्यालय के ये शिक्षक, कागज़ पर लिखते हैं गीत,

जन- सेवा भी करते रहते, निभा रहे जनता से प्रीत।।

(Twitter, हर्ष द्विवेदी (भारद्वाज), @Harshdwive6942)


किसी रोज़, तुम्हें अपने

के सन्मुख पा'कर

तुम्हारी विशाल भुजाओं को

कागज़ बना कर,

अपने अश्रुओं की

कलम से एक अंतिम प्रणयगीत लिखूँ

जिसे तुम्हारे ह्रदय की धड़कन पढ़े,

होंठ मुस्कुराये ..

औऱ मैं संतोष से बंध कर लूँ अपनी आँखें..

मैं बस ऐसी मृत्यु चाहती हूं..!!

(Twitter, मृगतृष्णा !, @Mrigtriishna)


जब कोई इंसान रक्तदान करने के

लिए कागज पर साईन करता है

तो वह किसी की जिन्दगी के लिए

साईन कर रहा होता है।

(Twitter, Rk Dhanda, @RkDhanda777)


जिंदगी के दिए गिले आजकल कागज़ पर उतर देता हूं

वर्ना यूं रोज़ शायरियां लिखना मेरा काम न था...

(Twitter, ‘शख्स’Sham, @Saksham_sri0408)


कभी अख़बार कभी खत कागज

रोजमर्रा की जरूरत कागज

आने जाने की सहूलत कागज

जीने मरने के इज़ाज़त कागज

प्यार की चिट्ठियां भी कागज की

काम की अर्जियां भी कागज की

जश्न में झण्डियां भी कागज की

जिस्म की मंडियां भी कागज की

बने नातों का भी गवाह कागज

कहीं शादी कहीं निकाह कागज

कहीं तलाक़ का गुनाह कागज

बनाये और करे तबाह कागज

छीन ले खेत घर जमीं कागज

पोछे आँखों की भी नमी कागज

हर जगह यो है लाज़मी कागज

जैसे घर का है आदमी कागज

कुछ नहीं है मगर है सब कुछ भी

क्या अजब चीज है यह कागज भी

(Twitter, शुभम श्रॉफ़,@shubhamkipoetry)


एक साफ़ सुथरे चौकोर कागज की तरह

उठाकर ज़िन्दगी को प्यार से

सोचता हूँ इस पर कुछ लिखूँ

फिर

उसे कई मोड़ देकर

कई तहों में बांटकर

एक नाव बनाता हूँ

और बहते पानी पर चुपचाप छोड़कर

उससे अलग हो जाता हूँ।

बहाव में वह

कागज नहीं

एक बच्चे की खुशी है।

(Twitter, Teekhar, @teekhar)


खो गई वो चिट्ठियां!!

जिनमे लिखने के सलीके छुपे होते थे

कुशलता की कामना से शुरू होते थे

बड़ों के चरणस्पर्श पर ख़त्म होते थे!

और बीच में लिखी होती थी जिंदगी

नन्हें के आने की खबर

मां की तबियत

पैसे भेजने का अनुनय

फसलों के खराब होने की वजह!

कितना कुछ सिमट जाता था

एक नीले से कागज में❤️

(Twitter, Mahesh Sharma, @MaheshS87354498)


कागज़ पर स्याही से

लफ्ज़ आबाद करता हूँ

मन खिल सा जाता है

जब तुमसे बात करता हूँ

कभी ख्वाबों में आती हो

कभी मुझको सताती हो

पलकें बंद करके अक्सर

मैं मुलाकात करता हूँ

कर सकता कुछ भी मैं

तेरी मुस्कान की ख़ातिर

तुम्हारे सामने मैं ज़ाहिर

अब जज़्बात करता हूँ...✍🏼

(Twitter, 🖤𝕯𝖗𝖊𝖆𝖒 𝖒𝖊𝖗𝖈𝖍𝖆𝖓𝖙 𝕬+.22𝖋𝖈🤍🚬™, @dadajay001)


नव आशाओं कि किरणें खिली है

महत्त्वाकांक्षाओं को विराम गया है

आत्म असीम ऊर्जा का संचार हुआ

प्रेम-स्याही का कागज़ से चुंबन हुआ

मन कि भावनाओं का कंपन हुआ है

हिय में कविताओं का सृजन हुआ है

नाचतीं कलम नृतकी राधा बन गयी

लिखने वाला कवि किशन बन गया।

(Twitter, 𝙲𝙰 गो𝔭𝔞𝔩, @The_Hawk_Eye18)


है सभी की ज़िंदगी काग़ज़ की कश्ती की तरह

कब  तलक  चलती  रहेगी  जानता  कोई  नहीं

(Twitter, Raghvendra Dwivedi, @RaghvendraLive)


चुंबन एक दिन

तुम्हारे सामने कागज पर

एक कविता बनेंगे

कविता एक दिन

चुंबन बन जाएगी

कागज से उठकर।

(Twitter, Kuldip Mengi, @MengiKuldip)


थोड़ी ख़ुशी  भी  काफ़ी  है  मेरे  सुभाव  को.

कितना-सा पानी चाहिए काग़ज़ की नाव को...

(Twitter, #राजेश_रेड्डी, @Rajeshreddyvb)


उसकी छवि जैसे

कागज़ के एकांत पर

रंगों का एक गीला चुंबन

(Twitter, आरती सिंह 🕊️, @AarTee33)


झुकी हुई पलके मन में गहन चिंतन

हाथ में कलम और कलम का कागज को चुंबन,

बयां हो जाती है हर खुशी

सुन जाता है हर एक कदम....!!

(Twitter, 🌱🥀रश्मि राजपूत 🥀🌱, @rajput58666851)


कोरा काग़ज़ सी हो गयी है ज़िंदगी भागते भागते,

वरना तो मैंने लिखा बहुत कुछ था, ख़ुद के वास्ते.

(Twitter, S@M, @sm08s) 


मिले थे कल जो तुमसे हम, उसी बाजार के किस्से ।

लिखूंगा आज कागज पर, हमारे प्यार के किस्से ।

(Twitter, कविशाला - हिन्दी | Kavishala, @Kavishala_Hindi) 


प्लास्टिक होता है पर्यावरण के लिए बहुत ही खराब

साकी कागज के कप में ही, मुझको पिला शराब....

(Self) 


Copier पेपर को मोड़ कर कप बनाया

उस कप में चाय पी पी कर मन हर्षाया..

(Self)


पेड़ कट रहे हैं आप की कुर्सियों के लिए

और आप कागज की दो पर्चियां

बचा कर ही खुश हो लिए?

...

पेड़ कटकर बन रहे हैं खिड़कियां और दरवाजे

परंतु हर रोज अखबार पढ़ते समय

आपके मन का अपराध बोध आप को डांटे?

...

जंगल कटे तभी बन सका आपका मोहल्ला

और पेड़ बचाने के लिए कागजों के खिलाफ

रोज मचा रहे हैं आप हल्ला?

...

वह जो काटे जा रहे हैं कागज बनाने के लिए,

वह जंगल ढूंढे नहीं जा पा रहे, हकीकत में...

...

कागज बन रहा है लगातार, सभी जानते हैं

वास्तविकता से अनजान लोग कहां मानते हैं?

(Self)


कागज बनाता हूं मैं, करता हूं कागज से प्यार.

बिन कागज इस दुनिया में जीना है बड़ा दुश्वार.

(Self) 

गुज़ार दी है यूँ ही जोड़ते घटाते हुए

सवाल हल न हुए और भर गया काग़ज़...

(Twitter, दर-बदर, @Mahanaatma1)


उभरा हर एक बार, नया फूल बनके मैं

मिट्टी में जितनी बार, मिलाया गया मुझे...

काग़ज़ क़लम के बीच रहा कैद उम्र भर

लिखा गया मुझे ना भुलाया गया मुझे...

(Twitter, बज़्म-ए-शोअरा ✍️, @BazmEShoara)


बैठा था मैं लिखने

अपने दिल का एहसास

पता नहीं मेरे शब्द

और कागज को

इसमें क्या दिख गया खास

जो कि पल भर में

वो समझ गए

मेरे हर एक एहसास

पर जिसके लिए लिखता रहा

शेष..

(Twitter, Shubham, @urstrulySubham_) 


बिन कागज स्याही बिना लगती है नायाब।

पढ़ने वाला चाहिए जीवन खुली किताब।।

(Twitter, Anjali Yadav, @TheAnjaliydv1)


काश..

काश तुम समझ सकते,

कि कोरे कागज पर नाख़ून से तुम्हारा नाम उकेरने में क्या सुक़ून मिलता है,

कि तन्हा बैठकर छत पे टंगे पंखे को घूमते हुए देखकर तुम्हें याद करना क्या होता है,

कि बरसते मौसम में चाय के साथ तुम्हारी गर्माहट महसूस करने में भीतर क्या जलता है.

(Twitter, Shreedha (श्रीधा ), @Shreedha__)


हंसते खेलते गुजर जाने वाली शाम नहीं आएगी

कागज के जहाजों वाली उड़ान नहीं आएगी

बचपन में जितना मुस्कुराना मुस्कुरा लो

लौटकर फिर बचपन वाली मुस्कान नहीं आएगी

(Twitter, Rajan Maurya, @RajanMa74675408)


बूंदों से बना हुआ छोटा सा समंदर,

लहरों से भीगती छोटी सी बस्ती,.....

चलो ढूंढ़े बारिश में सभी की यादें,

हाथ में लेकर एक कागज़ की कश्ती....

(Twitter, 𝚂𝙰𝙽𝙹𝙰𝚈 𝙺𝚁.𝙱𝙷𝙰𝚁𝚃𝙸, @Sanjaybharti0) 


भूल जाती है कलम लिख 🌷

                 कर अपना फ़साना

याद रखता है कागज 🌿

          वो बिता जमाना

कलम के पास तो है 🥀

             कागज अनेक

पर कागज ही जानता है🌹

        एक कलम से प्रेम निभाना

(Twitter, Kajal Chaudhary, @KajalCh88774487)


मैं शीशा तेरे घर का तू काजल मेरी निगाह का

मैं कागज़ तेरी किताब का तू लफ्ज़ मेरी आह का..!!!

(Twitter, Wear a mask. Stay safe.India 🙏, @follow_back__45)


चाहत कि काजल से, किस्मत के कागज पे

अपनी वफाएं लिख ज़रा,

तू भी तो मुझसा दिख ज़रा, .... !!

(Twitter, Preeti Gogia, @preetigspeaks)


उन आँखों को तरस थी

पर कालिख कोई काजल नहीं होता

प्यासी धरती आसमा  निहारती रही

पर धुंआ कोई बादल  नहीं  होता

पन्ने तो  रोज छपते है

पर हर कागज अख़बार नहीं होता।

(Twitter, Narayan Bareth, @BarethNarayan)


#काग़ज़ की

रंग बिरंगी..

नाव की..तरह है ...

ये तुम्हारी यादें..

#बारिश में ..

भीगते भीगते

अक्सर ...दम

तोड़ देतीं है...!!

(Twitter, Ajay Pratap Singh, @ajayprattap) 


मेरी उम्मीदों को दर्द का रिश्ता अज़ीज़ था...

एक काग़ज़ की नाव थी जिसे दरिया अज़ीज़ था...

(Twitter, निशा, @nishachauha) 


डूबती नही थी बचपन मे कागज की नाव

पानी से टकराते हुए वो गली के पार जाती थी

चिल्लाता था जोरजोर से शोर

स्कूल में छूट्टी की घंटी जब बज जाती थी

(Twitter, 🇮🇳अनिल‌ कुमार, @anilkrt100) 


चंचल सा ये मन मेरा

इसे बांध लो अपने आँचल से !

मेरे कोरे दिल के कागज पर

तुम नाम लिख दो काजल से !

(Twitter, शोभा शुक्ला, @ShobhaS79322632) 

तेज आँधी में अपने घर की तरफ

उड़ता हुआ परिंदा

आसमाँ के कागज़ पर

लिखता है एक

जोश भरने वाली कविता..!!.!

(Twitter, मृगतृष्णा !, @Mrigtriishna)


कलम से कागज पर लिख रहा था

सोच थी एक कविता लिखने की

प्ररेणा की एक स्रोत खोज रहा था

जरूरत थी बस एक किरण की

सोच रहा था कुछ नया लिखूं

ऐसा कुछ जिनसे जुड़े हो जज़्बात

लिखते लिखते जाने कब

खोदने लगा खुदका ही इतिहास

खैर.

मिले कोई आशा कि एक किरण

लिख पाऊं कोई कविता आज

(Twitter, ..ll Manish ll.., @A_lfaaz__)


शब्द किसी भी काग़ज़ पर परोसी गई सियाही से गहरा अर्थ रखते हैं। उनमें ये गहरे अर्थ के रंग उंडेलने के लिए बस एक इंसानी आवाज़ की ज़रुरत होती है.

(Twitter, Adbi Duniya, @AdbiDuniya1)


कलम भी कितनी असहाय होती है,

बहुत बार वो जो लिखना चाहती है,

उसके लिए उसे स्याही की नहीँ ...

बस एक *कागज* की जरूरत होती है. (Modified!)

(Twitter, sarita trivedi 'Nirjhara, @SaritaTrivediR1)


न आए लब पे तो काग़ज़ पे लिख दिया जाए

किसी ख़याल को मायूस क्यों किया जाए

किसी पे मिटने मिटाने से फ़ाएदा क्या है

मज़ा तो जब है किसी के लिए जिया जाए

(Twitter, Mohammad Aqeel Nomani, @NomaniAqeel)


कागज़ सा हूं मैं कोरा बिल्कुल तुम्हारी तरह.!

बहते समुद्र सा लहरों की धारा तुम्हारी तरह.!!

अंधेरो से न घबराने वाला एक एक जुगनू हूँ.!

रात ढल के आने वाला एक सबेरा तुम्हारी तरह.!!

(Twitter, ◆कागज◆, @kaagaz20)


अगर कोई आपसे अपने मन की बात "शेयर" करे तो अंधा कुआं बनना "न्यूजपेपर" नही ...!!

(Twitter, Koki Tyagi, @kokityagi)


ख़त की सूरत में मिला था जो वो पहला काग़ज़

रात भर जाग के सीने से लगाया काग़ज़

...

एक आहट सी हुई चौंक के देखा मैंने

एक पत्थर में था लिपटा हुआ ख़त सा काग़ज़

...

कोई इस दिल पे मुहब्बत की ग़ज़ल लिक्खेगा

काम आयेगा किसी रोज़ ये कोरा काग़ज़

...

आपका नाम किसी और के संग लाया था

लाल स्याही में छपा ऐक सुनहरा काग़ज़

...

ग़म का इज़हार कुछ इस तरहा किया था उसने

इक लिफ़ाफे में मिला था मुझे भीगा काग़ज़

...

अब ख़ुशी है न कोई ग़म न तमन्ना है मिज़ाज

ज़िंदगी आज भी है जैसे कि कोरा काग़ज़

...

:--अशोक 'मिज़ाज'

(Through- V K Gaur, facebook post) 


कोरे कागज को किताब बनाता है,

गुरु को जिंदगी का हर हिसाब आता है.

Happy Teacher's Day. 

जब्त कर लो कागज

तोड़ दो पेन पेंसिल

मरोड़ दो

मोबाइल पर

टिप टिप करती

उंगलियों को

रोक नहीं पाओगे

कानाफूसियां

जो पहुंचेगी

पीढ़ी दर पीढ़ी

बनकर

किवदंतियां

दमन की

(Twitter, राज पाटनी, @ErXVKtArWmHE5eG)


वो जाते जाते बेरुखी में मेरा दिल दौड़ भी गए

दिल से निकली कविता के कागज मरोड भी गए

हमने ऐसा भी क्या गुनाह किया था की

मार भी दिया और वैसी ही हालत में जीने को छोड़ गए

(Twitter, Amit Singh, @bond007_amit)


कलम, कागज़ और एक कप #चाय हो,

वक्त गुजारने का बस यही उपाय हो #Tea

(Twitter, 🇮🇳 AMITABH THAKUR 🇮🇳, @AMITABHTHAKUR21)


लो मैंने भी सीख लिया

शब्दों को तोड़-मरोड़ के लिखना

कलम की स्याही से

आपबीती लिखकर उसको रुलाना

अपनी ही हालातों से हर रोज़

कागज़ को रंगना

अपने ही जज्बातों पर

लोगों की वाहवाही के ताने सुनना

आसां नहीं है,

पर लो मैंने सीख लिया

शब्दों को तोड़-मरोड़ के लिखना।

(Twitter, Deeksha chauhan, @chauhan_dc08)


सुनो ! तुमने किताबें पढ़ी

डिग्रियां हासिल की

रोज़ अपनी शर्ट पर सजाई हुई कलम को छुआ भी।

और रोज़ ही

स्याही से सने एक कागज़ को

मरोड़ कर फेंक दिया।

तुम पढे - लिखे हो न !

इक्कठी होती रद्दी

जब गंद लगने लगी

तो तुमने उसे कबाड़े में दे दिया

(Twitter, सागर ( सरस ), @sagardy977367) 


लफ्ज़, अल्फ़ाज़, कागज़, किताब. सब बेमानी है,

तुम कहते रहो हम सुनते रहे बस इतनी सी कहानी है।

(Twitter, Morning_star, @kl_lucifer)


"कम लिखो। जब तक अनिवार्य न हो मत लिखो। 

जितना बनाना संवारना है, 

मानस में ही करके तब रूप को 

काग़ज़ पर उतारो - जितना घना, छोटा, गठीला बनाकर संभव हो..."

(पेड़ ने मुझसे कहा | डायरी से अंश | अज्ञेय)

(Twitter, Irfan, @irfaniyat)


चढ़ाकर वर्क चांदी का छुपालो तुम हकीकत को

मगर कागज के फूलौं पर कभी भंवरे बुलाओगे

आँख को दिखता नहीं खुदगर्ज चश्मा हो गया,

है हकीकत क्या भला क्या देख पाओगे

(Twitter, Priti Bajaj, @PritiBajaj5)


एक काग़ज़ की नाव हूं मैं तो

डूबना क्या मेरा, उभरना क्या

(Twitter, Rajinder Nadeem, @rp96770126)


हुआ ज़माना ये कीबोर्ड और स्क्रीन का क्यों

पढेगा कौन हमें कह के रो पड़ा काग़ज़।

ममता किरण

(Twitter, Mamta Kiran, @mamta_kiran)


कहने को तो कागज कोरा हूं मैं,

लेकिन स्याही की बूंद इसपर गिर चुकी है

(Twitter, 💜कोरा कागज💜, @BhimseriaAnjali)


अब वफ़ा की उम्मीद भी किस से करें भला..

मिटटी के बने लोग कागज़ो में बिक जाते हैं..

(Twitter, Rajesh Kumar (गुड्डू ), @GudduMaurya8573)


खुशबू से भीगे कागज पर - किरणों ने पैग़ाम लिखा

पारिजात ने क़दमों में बिछकर जब उसे सलाम लिखा

मंगलाचरण किया धूप ने - बैठ नदी के आँगन में

और किसी की मनुहारों ने हाथों पर इक नाम लिखा

- अतुल कनक

(Twitter, Atul Kanakk, @atulkanakk)


जो ज़ेहन में तस्वीर है काग़ज़ पर उतर आए

दुनिया में नुमाइश का भी हक़ चाहिए मुझ को

(Twitter, Divyanshi Sumrav, @divyanshisumrav)


करवटों की लेखनी से घोर तम के कागज़ों पर,

लिख रहा हूं दर्द का इतिहास,

बत्ती मत जलाओ..!!

~ अग्निवेष शुक्ल ( 'रात के पिछले पहर' से )

(Twitter, आरती सिंह 🕊️, @AarTee33)


वक्त से बड़ा, कुदरत से उम्दा ना देखा कोई कलाकार

बिना चश्मा बिना कागज-कलम बनाए कई किरदार

पंछी भी बने सुनहरा प्रकाशपूंज...

(Twitter, 🇮🇳 Nimish Desai 🇮🇳, @envee38)


हुईं जो लकड़ियां सीली तो जलना मुश्किल था

जलाने उनको कई बार फिर जला काग़ज़।

(Twitter, Mamta Kiran, @mamta_kiran)


देखता है वह खिड़कियों से मुझे

पार करता है कश्तियों से मुझे

रेल से पहले कटते देखेगा

फिर चुनेगा वो पटरियों से मुझे

भीगे कागज़ पे कुछ लकीरें थीं

याद आया हथेलियों से मुझे

रेत को भी पता नहीं चलता

कौन लिखता है उंगलियों से

(Twitter, Shakeel Azmi, @PoetShakeelAzmi)


Added: 15.10.2022

शहर की शमाओं से बेहतर, है गोधूलि मेरे गाँव की।

उन महँगी ठंडक से ज़्यादा, मोल पीपल के छांव की॥

उन विदेशी खेलों पर भारी, है मेरे हर देशी खेल रासि;

या बात सावन के झूले की, या काग़ज़ के नाँव की॥

(Twitter, ₹aजीव🇮🇳, @raj__sri)


नाव कागज की बनानी ना पड़े

या तो फिर जोर का पानी ना पड़े,

चुनो मजबूत सा धागा कोई

#गांठ जो कोई लगानी ना पड़े...!!

(Twitter, ✿ᶦᶰᵈ᭄Kavisha࿐❶꧂🖤, @Kavisha098)


तपना तो जिन्दगी हैं,

पर शरीर का तपना या आत्मा का तपना,

कुछ पैसों के लिए तपते रहे,

कुछ यूं तपे कि इतिहास बन गयें,

जो पैसों से तपते रहे वे कागज की नांव बनकर रह गए...........।।।

(Twitter, BHANU., @Bhhaanuu)


बचपन को सभी रंग पसंद है

आम का केसरीया हो

या पतंग का हरा

कागज़ की नाव का गुलाबी

या मटमैला

बारिशों के पानी का

बर्फ के गोले भी तो

सजते हैं जितने ज़्यादा रंगों से

उतनी ज़्यादा खुशी देते हैं

यौवन का पसंदीदा रंग..  ??

शायद एक है

वही,

जिसमें टकराता है

प्रेम हमसे

(Twitter, पतझड़ और पतंग, @456_payal)


अगर रोज़ सुबह होती है तो

यह उम्मीद के लिए एक नया दिन है

कल की अधूरी बातें

आधी रंगी हुई कागज़ पर फुलवारी

छूटी हुई ज़मीन

बुनने के लिए बचे हुए बीज

कल के सूने दरवाज़े

सब उम्मीद से जागे हुए हैं..!!✨

(Twitter, #काव्य_कृति✍️, @KavyaKriti_) 


कोरे कागज पर लिख डाला हमने उनका नाम,

महका महका दिन बीता और बहकी बहकी शाम।

(Twitter, चरन जीत सिंह, @Charanj26167430)


उतर गया हूँ

अपनी कागज

की नाव में

जीवन के

मझधार में

सच यही है

की नाव

लकड़ी

हो या कागज़

आदमी को

डूबना ही है

मझदार में

पार जाने के लिए l

(Twitter, Virender Sekhon, @sekhonvirender)


कभी कभी मन करता है पंछी बन आसमान मे उड जाऊँ

या फिर कागज की नाव बनूं और पानी मे तैर जाऊँ

या फिर एक चंचल सी हवा बनूं और हरे भरे खेतों पे लहराऊं

नही संभव हो कुछ भी,

ऑखे बंद कर मैं चुपचाप सो जाऊँ 😍😥

(Twitter, अनुज वत्स, @VatsaAnuj)


हर बहती हुई चीज़

एक दिन

सही जगह पहुंच ही जाती है

चाहे वो

जिंदगी हो

वक्त हो

या कागज़ की नाव ...

(Twitter, Parth 🌻, @parth_9811)


"बारिश का असली मज़ा तब है...

जब गांव की गलियों में कागज के नाव चलाने मिले,

जब तुझे भीगते हुए दुनिया भूलकर गले लगाने मिले,

या जब घर में चटनी संग गर्मागर्म पकौड़ा खाने मिले।"

(Twitter, Yogesh Mishra 'Sudarshan News', @YogeshMishraK)


वे बनाते है

रेत का घर या

कागज़ की नाव

मैंने इन्हें कभी

तोपे या बम

बनाते नहीं देखा

बच्चे नहीं जानते

युद्ध क्या होता है...

(Twitter, Parth 🌻, @parth_9811)


कुछ लिखने का मन है

क्या लिखूं ..

या फिर कागज़ को तकता रहूँ

बारिश हो रही

चलो नाव बना लूँ कागज की

किसी नाली में छोड़कर

तस्सली से सो जाऊं

या घर से बाहर

निकलकर भींग जाऊं

बस अभी

कुछ करना चाहता हूं

पर क्या करूं

मन कहता है।

अभी ..

रुक !

मैं कुछ देर और समझना चाहता हूं।

(Twitter, ..।। Manish ।।.., @A_lfaaz_)


सब कुछ लगे प्यारा

हमको अपने #गाँव में।

बीते दिन नदी किनारे,

हरे खेतों या पीपल की छाँव में।

तैरते थे ख्बाब हमारे

खुद की बनाई कागज की नाव में।

बागों में कोयल कूँके,

लदे फल पेड़ों की डाल पर।

खेलें बच्चे धूल मिट्टी में

नाचें दादा दादी के ताल पर।

(Twitter, 𝓐𝓷𝓲𝓵 𝓜𝓪𝓾𝓻𝔂𝓪, @anilmauryaa)


बड़े होकर भूल गए वे भी कागज की छोटी नाव बनाना

या शायद भूल गए उसे बच्चों के हांथों में थमाना

वरना गढ़े तो अब भी खूब हैं जो पानी से भर भर जाते हैं

पर शायद अब बच्चों को रिझा नहीं पाते हैं

पैरों से पानी छपकाना तो गांवों का खेल हो गया औ

शहरी बच्चा इमारतों में ही कैद होकर रह गया।

(Twitter, Honey_2014, @Honey20147)


मदमस्त धुप हो या मस्तानी छाँव हो

बचपन की बारिशें कागज़ की नाव हो

(Twitter, Himanshu Shrivastava, @himanshupoet)


मन‌ करता है.

चेहरे की,सिलवटों को..

उखाड़ के रख दू..

उनसे बना दूं कागज,की नाव.

बैठना,उसमें संवेदना.

फिर परवाह देना

जिंदगी की नदी में

सोच के,ओ उल्टे,या सीधा चलो.

धीरे-२ नाव का गल जाना.

संवेदना का डूब के मरना

देखते रहना,कुछ न करना.

शायद यही है,प्रारब्ध..!

_नि:शब्द✍️

(Twitter, ~नि:शब्द🖌️, @_nowordss)


लहरों में आ ही गयीं तो ये किनारा भी पा जायेंगीं

कश्तियाँ कागज़ की है लेकिन मंज़िल तक जायेंगीं

(Twitter, Himanshu Shrivastava, @himanshupoet)


कश्तियाँ कागज़ की वो बहाती नहीं.. बारिशें बचपन की शायद आती नहीं

(Twitter, H!t@n$hu, @HitanshuHp)


बहुत दिन हो गये तितलियों के पीछे भागे हुए

खिलखिला कर हसे हुए बारिश में कागज़ के नाव से खेले हुए....

शायद फुरसत नहीं, शायद शौक नहीं या फिर बचकनी लगती है मेरी बातें...?

फुरसत के लम्हों में ......

आऔ लौट चले बचपन के घरौंदो में...!!

(Twitter, Abeer Ahmad Ansari, @786Abeeransari)


नाव कागज की हो या काठ की,

होसले अगर हो तो तय किनारा है

मायना कलम की कीमत का नहीं,

बात तो यह है कि शब्दों ने ललकारा है....

(Twitter, Seervi Raj Rathore, @seervi_RAJU_R)


हम कागज़ ही है.

हम पर कुछ लिखा जायेगा या नहीं भी..

शायद,प्रेम कहानी,सिद्धांत...

या सुंदर सा चित्र बन जाऐ

या,लिखकर फाड़ भी दिया जायेगा..

पर मेरी ख्वाइस हैं.

बनूं नाव या पतंग.

गल भी जाऊं तो,पानी बन जाऊं.

टूट भी जाऊं तो,आसमान,चूम के.!!

_नि:शब्द✍️

(Twitter, ~नि:शब्द🖌️, @_nowordss)


थोड़ा मुस्कुरा लीजिये ,

जी करे तो जी लीजिये,

बारिश में कागज़ का नाव ,या धूप में जहाज ,

फिर से बना को देखिए,

वो रबर के धनुष,और कागज के तीर ,

रुमाल से बने मसलन के तकरीर ,

एक बार फिर से जी लीजिये ,

जी हां , थोड़ा मुस्कुरा तो लीजिये ,,,!

(Twitter, anjani srivastava 🇮🇳, @anjani108)


आँखों में बसे हुए हैं हज़ारों सैलाब

पर ज़वाब मुस्कुराहट से दे देती हूँ....!

जो ज़ज्बात बयां नहीं कर पाती

उसे कोरे कागज़ पर लिख देती हूँ....!

(Twitter, Shruti Sagarika, @Shruti1806)


काश दिल के कोरे काग़ज़ पर,

लिख देते तुम अपना नाम,,,,

ताउम्र महकती रहूँगी

तेरे एहसासों की खुशबू से!!

(Twitter, नैंना 🍁, @SsNaina_) 

Added: 01.12.2022

मैं काग़ज़ की देह पर

गोदने की तरह उभर आना चाहती हूँ

और यह बता देना चाहती हूँ

कि काग़ज़ की संगमरमरी देह पर लिखी

शब्दों की इबारत

ताजमहल से बढ़कर ख़ूबसूरत होती है..!!

(Twitter, #काव्य_कृति✍️, @KavyaKriti_)


दिल के कोरे कागज पर खींचकर कुछ

आड़ी-तिरछी लकीरें जब देखता हूँ मैं

बन जाती है #तस्वीर तुम्हारी

ऐसा लगता है

कागज़ का वह टुकड़ा

कह रहा हो मुझसे-जो बसा है दिल में

उसे क्यों उकेरा कागज पर

देखो कोई जला न दे हवा कहीं उड़ा न दे

और घबरा कर मैं समेट लेता हूँ

वह तस्वीर तुम्हारी..❣

(Twitter, अनिल_प्रजापति 🇮🇳, @Anil_Pra93)


जज्बातों का यह कैसा फेरा....

मुझे रात दिन इन्होंने घेरा...

कुछ लिख देने की कोशिश में...

मैंने इन्हें कागज पर उकेरा....

(Twitter, Prachi ✍️, @Prachibhatia1)


मेहरबाँ मुझ पे रात हुई तुम याद आये.

आँख लगी मुलाक़ात हुई तुम याद आये...

साँसें महकी महक उठा मिट्टी का बदन.

हलकी  सी  बरसात हुई तुम याद आये...

दिल में हुई हलचल लफ़्ज़ों का शोर उठा.

काग़ज़ से जब बात हुई तुम याद आये...

~ नसीम आज़मी

(Twitter, Malti Vishwakarma, @MaltiVishwaka12)


फूलों-मंजरियों, तितलियों 

और परिंदो के शोख रंगों को

उड़ेला है मैंने कई बार कागज पर

मौसमों की तपिश-ठिठुरन के

चश्मदीद है कुछ दस्तावेज़

देश-देशांतर की भिन्न दिशाएं को

उकेरा असंख्य बार कोरे पन्नों पर

लेकिन लिख न सका कोई काफिया

कभी कहीं बस एक तुम्हारे बारे में

(Twitter, Kiran malhotra, @KiranMalhotra03)


आपसी रिश्तों की ख़ुशबू को कोई नाम न दो

इस तक़द्दुस को न काग़ज़ पर उतारा जाए 🦋

~ महेंद्र प्रताप चांद

(twitter, Bimla Verma 🦋, @BimlaVerma6)


सडक पर लाल रंग के लोहे वाले बड़े से डब्बे में,जो किसी मजबूत से खम्भे पर टँगा हुआ था,एक दरार दिखी थी।

मन का सब कुछ,एक काग़ज़ पर उकेरा.. और कुछ लिफाफे..कुछ मोहरें लगा कर उस दरार के हवाले कर दिया.

अब जवाब आएगा तब गाँठ के धागे खुलेंगे.

(Twitter, शंकर सिंह राय, @shankarsinghrai)


कुछ क़िस्से यादों की अलमारी से निकलना चाहते हैं,

क्या कहते हैं आप ??... सोच रहे हैं किताब ले आएँ.

(Twitter, Ritesh Rajwada, @riteshrajwada)

खुली हवा में शब्द कागज पर चिपकना चाहते हैं.,

कुछ कविताएं लिखिए आप भी...  दिमाग लगाएं.

(Self, appended by me)


कोरे कागज पर जब माँ ने उकेरा एक गाँव...

अंतर्मन में ...

बन आया एक आँगन

बन आयी एक गौशाला

उपज आयी कुछ फसलें

खिल गए कुछ फूल

जो न बन पाया वह था बचपन

जिसको वह खोजती है

कभी बच्ची की आंखों में

कभी खोयी हुई यादों में :)

(Twitter, देहाती, @ashtiwari06)


जब भर जाता है मन

हम रख देते हैं

अपने अतिरिक्त दुखों को

किसी कागज़ पर

शब्दों की देह में...

(Twitter, ., @parityakt)


कागजों का इश्क़ है कलम,

चाहते हैं कागज कि चलती रहे कलम

उनकी देह पर

जैसे कोई प्रेयसी प्रेमी के बालों

में उंगलियाँ फिराती है।

कलम ही है जो खुद का

लहू खर्च करके शब्दों को

आकृतियों का सौंदर्य देती है।

जो मौन और अनाथ हैं भाव

उन्हें आश्रय दिलाती है कलम।

(Twitter, AsthA, @asthalogy) 


काग़ज़ की देह पर पेड़ की स्मृति होती है

यह सोच कर मैं कविताओं में

छाँव ढूँढ़ती रही

पेड़ की देह पर कुल्हाड़ी की स्मृति होती है

मुझे कविताओं में लहू की

बूँदें मिलती रहीं

(Twitter, मुक्तक काव्य, @KavyaMuktak)


जब भी

कागज पर कुछ उकेरा जाता है

तब कागज

प्रकाश संश्लेषण क्रिया करते हैं

और

जीवित रहते हैं सदियों तक

/नीरज

(Twitter, नीरज, @likh_neeraj_)


अपने लव्जो की तकदीरो को मैं बदल नही पाती … ।

एक बार जो उकेरा (लिखा) कागज़ पर कुछ ,

उसको मिटा कर फिर, उसे बदल नही पाती ।।

(Twitter, 🤍., @JhoomBasanti)


न जाने कितने कागज़ मैने

फाड़कर फेंक दिये लिखते लिखते

जाने कितने लिहाफ के नीचे

सो रही थी मेरी कविता

कमरे में अकेली जाग रही थी मैं

और दूर तक कोहरे में डूबी सर्द रात...

तुम्हारे आवारा ख़याल से

लरज़ती मेरी उंगलियां..

ऐसे में कैसे लिख पाती मैं कविता !?

- किरण के., #Winter

(Twitter, Kiran K, @Iam_KiranK1)


कागज पर लिखी गयी कविताओं में

पेड़ो की त्वचा का दर्द लिखा जाता है

चुप्पी दो होठों के बीच का शब्द नहीं

दो आँखों के मध्य निरन्तर संवाद है

प्रिये, तुम्हारे होंठ पर लिया गया चुंबन

मेरी देह में थरथराता है...

(Twitter, Amar Dalpura, @DalpuraAmar) 


खाली कागज़ चुप्पी की श्रेणी में आता है।।।

(Twitter, महावर, @im___praveen)


लिख के

मिटा दिया

ऐसा गज़ब किया

बेजुबान

काग़ज़ को

गवाह

बना दिया

होगा फैसला

कैसा

इस तरहा

चुप्पी से

बोलती

इस जुबां को

ताला लगा लिया

मंजूर है

यादों को

भुला

सकते हो

तुम

लिखें थे

जज्बात

उन्हें भी

मिटा दिया

होश था अपना

जब तक

पी रख्खी थी

बेहोश हुए

जब तुम्हारा

खयाल आया

(Twitter, धीर... **, @Dkbarot11)


Added on December 14, 2022

कागज पर एक कविता है -

..

कागज से चिर रहेगी ये कहानी,

जो लिखी मैंने हमेशा की तरह।

कागज ही है मेरा सच्चा साथी,

जो रहता है मेरे साथ हमेशा।

..

कागज पर लिखे हुए शब्द सदा,

मेरे साथ हैं जब भी मैं खुदा।

कागज ही है मेरा साथी हमेशा,

जो है मेरे साथ हमेशा की तरह।

Contributed specially for website by: Dr. Vijai Kumar 


कोरे कागज को मिल जाएंगे कुछ नए पाठक

चंद बूंदे स्याही की  तुम छिटका के तो देखो✍🏻

(Twitter, ☷⃟‌⃟ ͥ ͣ ͫSwast!ka, @iSwastiika) 


बिना पिरोए पन्नो सा मेरा इश्क़

और तुम्हारा मिजाज़ पेपर वेट सा...

मुझे बिखरने मत देना...!!

(Twitter, Shivani Thakur, @kurbaten) 


जीवन पुस्तक फट जाती है काग़ज़ पीला हो जाता है

आंसू कोई लाख छुपाए दामन गीला हो जाता है

...

बच्चों के सच्चे ज़ेहनों में झूटी बातें मत डाला कर

कांटों की सोहबत में रह कर फूल नोकीला हो जाता है

- शकील आज़मी

- (Twitter, Shakeel Azmi, @PoetShakeelAzmi) 



January 28, 2023


सियाह रात के लिफ़ाफ़े में रखा

मैने एक खामोश रिश्ता,

और कोरे कागज़ पर टांक दी

दो बोलती आंखे ।

- दिव्या शुक्ला

- (Twitter, अनंतम्, @Life_OfJourney)


रोज रात मैं डूबने लगता हूँ

अपनी अवसादों की गहराई में,

..

कुछ कागज के टुकड़े,

नाव लेकर आते हैं,

शब्दों की पतवार लिए

मुझे डूबने से बचाते हैं,

..

पंक्तियाँ मुझे लहरों के

भँवर से खींच लातीं हैं,

और अनजाने में

किनारों तक साथ आ जाती है

एक कविता...

(Twitter, ❗चाय और इश्क❗, @chayaurishk)


"Kiss me hard before you go," said the paper to the pen.

(Twitter, Urrmi, @Urrmi_)


"Do you want a wet or dry kiss", said the pen to the paper!!

(Twitter, manuduggar, @manuduggar)


जब न मन दिल दीवाना

कलम उठा के जाने जाना

खत मैंने तेरे नाम लिखा

हाले दिल तमाम लिखा

कागज के इस टुकड़े को

तुम दिल समझ लेना

जहा बून्द गिरि हो श्याही की

उसे दिल समझ लेना

यादो में दुबके

कागज को चूम के

प्यार का तुझको सलाम लिखा

मैंने दिल से लाख….

(Twitter, satish kumar tangri, @SatishTangri)


इस स्याह होते युग में

असंख्य पैर लिये

दौड़ रही हूँ

बिखरे सूरज के

हज़ार टुकड़े उठाने

एक भी छूट गया तो

आने वाली सदियों तक

बौर कच्चा रहेगा

सेमल के वनों में

भँवरे भूखे मरेंगे

और

नन्ही गोरैया

काग़ज़ की नाव रेत पर चलाएगी,

काँपते हाथों से

ब्याह दूँगी

इन चढ़ती किरणों को

(Twitter, anjafi, @anjafi) 


काग़ज़ कोरा रह गया, क़लम हुआ नाराज़

खुलते-खुलते रह गए, अंतर्मन के राज़

_डॉ कविता "किरण"

@kavitakiran

#दोहा #paperpenpoetry

(Twitter, Dr kavita kiran, @kavitakiran) 


सोचा

 कुछ लिखूँगा

तुम्हारे बारे में

सर्दी की दोपहर

मीठी मीठी धूप

#चाय की एक प्याली

कोरा कागज  कलम

सब  था

नहीं थे तो बस अल्फाज

जो कह सकते तुम्हारी कहानी

तेरे भीगे बालों की  खुशबू

सांसों की गर्माहट

तेरी मुस्कुराहट

समा पायेगी शब्दों में ?

नहीं आज तो निशब्द हूँ मैं__

(Twitter, Baljeet Kaur, @bkaurmft) 


कागज़ क़लम दवात ले करते थे शायरी

उंगलियों के अल्फ़ाज़ में वो बात ही नहीं

#अशोक_मसरूफ़

(Twitter, Ashok Mushroof, @AMushroof) 

Added: 16th March, 2023


कल शाम यूँ ही मैं चलते-चलते

एक व्यक्ति से टकरा गया.

पता नहीं अचानक, यह कैसे हुआ

मेरा चश्मा उस की पर और

उसका चश्मा मेरी नाक पर आ गया.


रास्ते में दिखने वाले सभी पेड़ गायब हुए,

और उनकी जगह मुझे दिखने लगे

चारों तरफ मेज, सोफे और दरवाजे.


फिर थोड़ा आगे बढ़ चला मैं ,

कुछ छोटे पेड़ देखने की उम्मीद लिए

लेकिन खिड़कियां और कुर्सियां

मानो उगी हुई थी उनकी जगह.


याद आया कि आगे था एक बाग शीशम का

लेकिन उसकी जगह था दिख रहा

चौखटों का एक जंगल, बड़ा सा.


सीने में हल्का दर्द सा होने लगा था,

दिल मेरा कुछ कुछ रोने लगा था,

चक्कर खा कर बैठ गया वहीं पर,

जहां एक पेड़ था पड़ा हुआ कटकर,

हर पेड़ की जिंदगी का आखिर यही फसाना है

कुछ समय बाद उसे फर्नीचर ही बन जाना है.

(Message: Stop blaming paper for deforestation.)         (Self)


मन-कागज पर नेह के, लिखे गये अनुबंध।

यत्र तत्र सर्वत्र ही, फैली प्रेम-सुगंध ।।

(Twitter, #काव्य_कृति✍️, @KavyaKriti_)


तुम बिन,मैं एक बूँद हूँ ,

तुम मिलो तो तो सागर बन जाऊँ।

तुम बिन,मैं एक धागा हूँ ,

तुम मिलो तो चादर बन जाऊँ।

तुम बिन,मैं एक कागज हूँ ,

तुम मिलो तो किताब बन जाऊँ।

तुम बिन,मैं केवल शब्द हूँ ,

तुम मिलो तो प्रेमग्रंथ बन जाऊँ।

तुम बिन,मैं एक दुआ हूँ ,

तुम मिलो तो इबादत बन जाऊ।

(Twitter, Jagdish Dubey, @Jagdish989333)


काग़ज़ की कश्ती समंदर में तलातुम

जीने की इक तमन्ना परेशान हम तुम

(Twitter, Ashok Mushroof, @AMushroof)


अब क्या ढूंढते हो जले हुए कागज़ की राख़ में,

वो अफसाना भी जल गया जिसका उनवान तुम थे....

(Twitter, 🌹𝓑𝓱𝓪𝔀𝓷𝓪 🌹, @Mili_NotFound)


अधजले शब्दों के ढेर में तुम

क्या तलाश रहे हो?

तुम्हारी आत्मीयता –

जले हुए काग़ज़ की वह तस्वीर है

जो छूते ही राख हो जायेगी।

#सुदामा_पांडेय 'धूमिल'

(Twitter, Margret., @margret_017)


सर्दी के सर चोट रखूं

अंगारों पर होंट रखूं

काग़ज़ पर कश्मीर बनाऊं

सर में हाउसबोट रखूं

गाड़ी में पेट्रोल भराऊं

जेबें भर भर नोट रखूं

पेशा करूं वकालत का

काला सा इक कोट रखूं

मैं तो कहीं भी चुप जाऊं

साए को किस ओट रखूं

(Twitter, Shakeel Azmi, @PoetShakeelAzmi)


उस ने बिखरे काग़ज़ों को छू के संदल कर दिया

इक अधूरी सी ग़ज़ल को यूँ मुकम्मल कर दिया.

(Twitter, Madhu, @speakingmico)


कुछ लोग यहाँ इतना प्यारा लिखते हैं मानो उनकी, हथेलियाँ चाक पर सुंदर आकृतियाँ गढ़ रही हों, धूप की आहट से खिलने को आतुर कोई कली अंगड़ाई ले रही हो.. कोई नदी गीत गा रही हो.. रंग भरी कोई कूची कागज छू रही हो..

सच में, मैं कुछ लोगों को तब देखना चाहता हूं, जब वो लिख रहे होते हैं..❤️❤️

(Twitter, मल्हार, @The_saarang)


इससे पहले कि बाँस बेसुरे हो जाएँ, और जल मरें,

उनको टुकड़े टुकड़े काट दो;

बनाओ उनसे लुगदी और कागज़.

*बांस का कागज़.*           Self


तुम्हारे ख़त में नज़र आई इतनी ख़ामोशी

कि मुझ को रखने पड़े अपने कान काग़ज़ पर

बना हुआ था कहीं आब-दान काग़ज़ पर

थी इतनी प्यास कि रख दी ज़बान काग़ज़ पर

(Twitter, satish kumar tangri, @SatishTangri)


किताबों में धूल जम जाने से,

कहानी खत्म नहीं हुआ करती !!

किताबें...

बार बार अनेक बार...

पढ़ लिए जाने के बाद भी

रीसायकल होने को मना नहीं करती.

Use Paper, Read Paper Books.        (Self) 


April 11, 2023

कागज पर लिखी कविता

तो कागज उसी का हो लिया.

कागज पर लिखा अनुबंध

तो कागज हो लिया उसी के संग.

कागज पहचानता है प्रथम प्रेम

सदैव. जीवन पर्यंत.                     (Self)


नेट पर दिन रात बैठी

चैट करती पीढ़ियाँ

व्हाट्सएप पर

क्षणों में संदेश करती पीढ़ियाँ !

क्या समझ पाएँगी,

छुप के चिट्ठी पढ़ने का मज़ा

पढ़ते पढ़ते रोते जाना

रो के हँसने का मजा..!!

(Twitter, आरती सिंह 🕊️, @AarTee33)


अपने अंदाज़ में मैंने अपनी ही चीज़ फेंकी थी

कागज पर आपके पास जो पहुंचीं वो ग़ज़ल थी

✍राव       #ऋः

(Twitter, Rao... @Rao_book)


हम अपनी सुबह शाम यूँ ही गुजार लेते हैं.......

जो भी जख्म मिलता है,कागज पर उतार लेते हैं।

(Twitter, चरन जीत सिंह, @Charanj26167430)


सादगी के मुखौटे कागजी विचार लिए,

हर शख्स फूल सा जख्म हजार लिए...!!

(Twitter, आधुनिक ~ अल्फाज़, @shiv__balak)


उन्हें सदियों ना भूला सकेगा यह जमाना

खयाल, जो लिखे जा चुके हैं एक कागज पे       Self


लिखने के लिए मुझे कुछ नहीं चाहिए। थोड़ी-सी धूप, ठण्डी हवा, बढ़िया काग़ज़ और एक ऐसी क़लम, जो बीच में न रुके। एकाध चाय।

- शरद जोशी

(Twitter, The Poetic House, @thepoetichouse)


अपने कमरे का कोई गुलदान क्यूँ ख़ाली रहे

फूल काग़ज़ के सजा ले सूँघ कर देखेगा कौन

(Twitter, Anuradhaa Gupta, @Anu_Shree11)


कितना अनोखा था

आँखों से लिखा गया पत्र,

जिसे तुम निरंतर

पढ़ते समझते रहे,

लोगों के लिए आँखें

सिर्फ मुड़ा तुड़ा कागज थीं।

-पवन

(Twitter, Pavan Kumar Singh, @OnlyPavanKumar)


मैं इसलिए भी नहीं चाहता किताब छपे,

न जाने कैसे लगें काग़ज़ों पे ख़ाब छपे !!

हमारे नाम पे आकर सियाही फैल गई ,

हम इस जदीदा-ए-दुनिया पे भी ख़राब छपे !!

मुशायरों में तो हम कम बुलाए जाते थे,

मगर दिलों के रसाइल में बे-हिसाब छपे !!

(Twitter, Murlidhar Taalib (مرلی دھر طالب), @MurlidharTaalib)


लफ़्ज़ लबों से अपने तुम्हें जो कह नहीं पाये

कोरे कागज में वो हर्फ़ बनकर थम गये

अश्क़ सर्द यादों में तेरी मेरे जो बह नहीं पायें

आँखों में मेरी वो बर्फ बनकर जम गये

~~जगदर्शन सिंह बिष्ट

(Twitter, Jagdarshan, @Jagdarshan1)


ज़िन्दगी वह अधूरा खत है जो कभी मुकम्मल लिखा नही गया,जो अल्फाज कागज तक उतरे वो सतही रहे जो कागज पर न उतर पाए वह आंसुओं की बूंद बनकर उन शब्दों से जा मिले जो उम्र भर टिश सी बनकर रह गयी अनकही सी। जो खत पहुँचे भी तो वह आँसू सुख चुके थे जो कागज पर एक बदनुमा दाग से थे बस,,

(Twitter, साकेत... @saket_hi)


हादसे इंसान के संग,

       मसखरी करने लगे...!

लफ़्ज़ कागज़ पर उतर कर

         जादूगरी करने लगे... !

क़ामयाबी जिसने पाई,

          उनके घर तो बस गये.... !

जिनके दिल टूटे वो आशिक़,

             शायरी करने लगे....!!

(Twitter, Jagdish Dubey, @Jagdish989333)



April 23, 2023

तुम्हारा जन्म होना तब तक तय नही जब तक वो मुझपे छपा नही
कहने को कागज का टुकड़ा हूँ, पर तुम्हारे जन्म का प्रमाण पत्र हूँ, मैं ।


माना हाथों पे छपी भाग्य लकीरों के साथ पैदा हुए हो तुम,

माना हाथों पे छपी भाग्य लकीरों के साथ पैदा हुए हो तुम,


पर ये भी तब तक पता नही जब तक मुझपे छपा नही,

कहने को कागज ही हूँ पर

तुम्हारी जन्म कुंडली पत्र हूँ, मैं ।


माना बहुत पढ़ लिखे गये हो तुम

माना बहुत पढ़ लिख गये हो तुम,

सुना है साहब भी बन गये हो तुम,

पर कितना पढ़े हो ये तब तक तय नही, जब तक मुझपे छपा नही,

कहने को तो कागज ही हूँ पर तुम्हारा शिक्षा प्रमाण पत्र हूँ, मैं ।


माना खूब कमाते हो तुम

माना खूब कमाते हो तुम,

पर कितना कमाते हो ये तब तक स्वीकार नही जब तक मुझपे छपा नही, 

कहने को तो कागज ही हूँ पर तुम्हारा वेतन पत्र हूँ, मैं ।


सुना है बहुत हिम्मती हो तुम, 

सुना है बहुत हिम्मती हो तुम,

पर याद है ,पहली बार दिल की भावनायें पहुंचाने में विफल रहे थे तुम ,

दिल का हाल बयाँ न कर पाये तुम जब तक वो मुझपे छपा नही,
अरे कहने को तो सिर्फ कागज ही हूँ पर तुम्हारा पहला प्रेमपत्र हूँ, मैं ।


माना जानते हैं तुम्हे जमाने भर के लोग,

माना जानते हैं तुम्हे जमाने भर के लोग,

पर पहचान तुम्हारी तय नही जब तक मुझपे छपा नही

कहने को तो कागज हूँ पर तुम्हारा आधार प्रमाण पत्र हूँ, मैं ।


सुना है जीवनसाथी का आगमन है तुम्हारे जीवन में

सुना है जीवनसाथी का आगमन है तुम्हारे जीवन मे,

कब कहाँ कौन है ये तब तक तय नही जब तक मुझपे छपा नही,
कहने को तो कागज हूँ पर तुम्हारा विवाह पत्र हूँ, मैं ।


जानते हैं लोग कि बहुत धर्माचारी हो तुम

जानते हैं लोग कि बहुत धर्माचारी हो तुम,

सबमें बराबर बराबर बाँट कर ही खाते हो, 

पर कितना किसको दोगे ये तय नही जब तक मुझपे छपा नही,
कहने को तो कागज हूँ पर तुम्हारा वसीयतनामा हूँ, मैं।


रुखसत जमाने से तो तय सभी की है, रुखसत जमाने से तो तय सभी की है,

पर अनुपस्थिति तब तक मान्य नही जब तक मुझपे छपा नही,
कहने को तो सिर्फ एक कागज हूँ पर तुम्हारा मृत्यु प्रमाण पत्र हूँ, मैं।

कहने को तो हाथों की लकीरों के साथ पैदा हुए थे तुम,

पर तुम्हारी जीवनी जिसपर लिखी गयी वो माध्यम हूँ मैं,
कहने को तो सिर्फ एक कागज हूँ पर तुम्हारा सच्चा दोस्त हूँ मैं।

Written by: Sh. Surya Prakash, ITC, PSPD


May 08, 2023

काग़ज़ पर उतार दो

कहना बहुत आसान है, काग़ज़ पे उतार दो।

कैसे लिखूं,लिखने को ,कुछ हौंसला उधार दो।

कैसे वो सिसकियां, आंसू उतरेंगे काग़ज़ पर

कैसे दिखाऊं ग़म ही ग़म दिल ए काबिज पर

कौन देखें आकर मेरी  दिल की अधूरी हसरतें

जिंदा रहने को मुझे माफिक नहीं तेरी नुसरतें

सुरिंदर कौर

(Twitter, surinder The blackpen, @surinde45706198) 


May 31, 2023

सफ़ेद पोशाक, धुला चेहरा, चमकता आईना

फिर काग़ज़ी फूलों पे ख़ुशबू भी छिड़क ली मैंने

- तेजबीर ‘तलब’

Twitter (Tejbir Singh Kohli, @tejbir_kohli) 


उभारे जाइए जब तक न उभरे नक़्श काग़ज़ पर

तराशे जाइए जब तक न पत्थर से सनम निकले

(Twitter, Florid jamal, @Hashmijamal7) 


पनीली आँख में सपने भला कब तक ठहरते हैं

कहीं भीगे हुए काग़ज़ पे भी अक्षर उभरते हैं..?

©डॉ कविता "किरण"

Twitter, (Dr kavita kiran, @kavitakiran) 


20.06.2023

आया तूफ़ान दामन में बाँधे मौसम कोई लुटेरा,

बादल घिरे बिजली गिरी छाया फ़ज़ा में अंधेरा !!

भीगी क़बाओं में अपनी सुलगी तमन्नाएँ निकलीं,

काग़ज़ की कश्ती में करने उसकी गली का फेरा !!

पानी की झरती दीवारें लो आवाज़ दे कर पुकारें,

हिज्र की रातों से झाँके वस्ल का क़ैद सवेरा !!

Twitter, (Anoorva Sinha, @AnoorvaSinha) 


दर्द जब कागज़ों पे लिक्खूंगा

शेर सब दोस्तों पे लिक्खूंगा

ये ज़मीं रास ही नहीं.....आई

अब फ़कत पानियों पे लिक्खूंगा

जो तेरी याद में गुज़ारे हैं

उन सभी रत्जगों पे लिक्खूंगा

दिल के अंदर ही क़ैद हैं जो नदीम

उन सभी सिसकियों पे लिक्खूंगा

(Twitter, Rajinder Nadeem, @rp96770126) 


मैं अपने हिस्से का

छोड़ा गया वो कोरा कागज़ हूँ

जिस पर कविताएं नहीं लिखी गई

उसे नाव बनाकर छोड़ दिया गया पानी में

जिसे देखकर हँसते हुए

किसी बच्चे के चेहरे पर पढ़ी जा सके कविताएँ !

- आदित्य रहबर

- (Twitter, आदित्य रहबर, @Adityarahbar120)


30.06.2023

मौसम के कागज़ पर आज लिखा था सूरज

पर काले मेघ और बारिश ने घेर लिया

~ धनंजय सिंह

(Twitter, शिखा, @shikhasaxena191) 


हादसे इंसान के संग,

       मसखरी करने लगे...!

लफ़्ज़ कागज़ पर उतर कर

         जादूगरी करने लगे... !

क़ामयाबी जिसने पाई,

          उनके घर तो बस गये.... !

जिनके दिल टूटे वो आशिक़,

             शायरी करने लगे....!!

(Twitter, अग्रवाल जी 😊🥰, @ayushagarwalagr) 


01.07.2023

पंक्तियाँ

...

----------

...

ख़ाली कागज़ पे

रख देता हूँ शब्द,

...

अब वह ख़ाली नहीं है,

भरा हुआ है

मेरे दुःख से...

(Twitter, .,@parityakt) 


कागज जो बनाया मैने

...

कभी किसी अमानत का,तो कभी है जमानत का।

कभी सार गीता का, तो कभी पाठ रामायण का।

कभी कवि के गीत का, कभी किसी की जीत का।

कभी वो है वेद का, तो कभी प्रश्नपत्र के भेद का।

कभी ये है बस रद्दी का, कभी किसी की गद्दी का।

कभी है ये वोट का, कभी बने ये ताकत नोट का।

कभी किसी विदाई का, कभी किसी की सगाई का।

कभी फौजी के खत का, कभी प्रेमियों के पत्र का।

कभी ये पर्चा बिल का, कभी ये हाल ए दिल का।।

(From the facebook wall of Nopin Rana, Dec.24, 2022) 


08.07.2023

मासूम मोहब्ब्त का बस इतना सा फसाना है,

कागज़ की कस्ती और रिमझिम बारिश का जमाना है.

(Twitter, мѦℌї❤️‍🔥, @ReetaVe19101097) 


#लिपटीपरछाइयां

चाहते तो  नशर कर दे,तेरा नाम सरे महफ़िल

क्या करें मंजूर न थी, मुझको तेरी रुसवाईयां।

कैसे लिखें काग़ज़ पर,अपना हम हाल‌ ए दिल

लिखते लिखते कम पड़ जायेगी ये रोशनाइयां

(Twitter, surinder The blackpen, @surinde45706198) 


16.07.2023

ग़ैर के घर सही …वो आया तो

ग़म ही मेरे लिए …वो लाया तो !!

पेड़ के घोंसलों का क्या होगा

घर उसे काट कर ..बनाया तो !!

दुश्मनों को मुआफ़ कर डाला

दोस्तों से फ़रेब …खाया तो !!

किस क़दर ज़ोर से हुई बारिश

मैं ने काग़ज़ का घर बनाया तो !!

नईम जर्रार अहमद

(Twitter, Murlidhar Taalib (مرلی دھر طالب), @MurlidharTaalib) 


August 01, 2023 Paper Day

कागज जो बनाया मैने

कभी किसी अमानत का,तो कभी है जमानत का।

कभी सार गीता का, तो कभी पाठ रामायण का।

कभी कवि के गीत का, कभी किसी की जीत का।

कभी वो है वेद का, तो कभी प्रश्नपत्र के भेद का।

कभी ये है बस रद्दी का, कभी किसी की गद्दी का।

कभी है ये वोट का, कभी बने ये ताकत नोट का।

कभी किसी विदाई का, कभी किसी की सगाई का।

कभी फौजी के खत का, कभी प्रेमियों के पत्र का।

कभी ये पर्चा बिल  का, कभी ये  हाल ए दिल का।।

By: Ravindra Chauhan, on Paper Day, Aug.01, 2023 


चंद जुमले बनकर काग़ज पर बिखर जाता हूँ मैं,

जिस नज़र से देखिये वैसा ही नजर आता हूँ मैं।

Twitter, चरन जीत सिंह, @Charanj26167430 


दिल से...

Today on this paper day, I am writing a letter to my family friend .. i am sending a letter after 15 yrs approx.. the best part is it is copy paste, it is not simply forwarded msg so every time whoever writes for a special one with a thought about her/him.


Means it will be unique feeling which is 1 to 1...it's not simply copy paste...


लिखने के बाद अहसास हुआ कि हाथ में उंगलियां भी है। 😂 keypad पे चला चला कर अंगूठा अभिमानित हो गया था। आज काग़ज़ ने उसके इस अभिमान को भी चूर कर दिया। आज फिर हाथ में लेखनी आ गई, आज फिर से हाथ में पांच उंगलियां एक साथ हो गईं। आज फिर हाथ में ताकत आ गई। आज फिर हाथ में लेखनी आ गई ।


शब्द बोलते भी हैं क्योंकि इन्हे हाथों से नही दिल से लिखा जाता है, शब्द सुने भी जाते हैं क्योंकि इन्हे कानों  से नही दिल से सुना जाता है।

By: Sh. Surya Prakash, ITC



21.10.2023 

मिलकर एक्सपर्ट से बस यही समझना समझाना है,

रद्दी कागज से अच्छा paper किस तरह बनाना है.

(for IPPTA seminar, Muzaffarnagar, October 2023)       (Self)


रद्दी कागज का नाम बदलकर चुप नहीं बैठ जाना (Waste Paper -> Recycled Paper)

हमारा तो लक्ष्य है क्राफ्ट पेपर का बीएफ बढ़ाना.                          (Self) 


21.11.2023

काग़ज़ पे सिर्फ़ धब्बे ही–बाकी बचे हैं अब!

लिख-लिख के इतनी बार–मिटाया गया हूँ मै...

(Twitter, Malti Vishwakarma, @MaltiVishwaka12)


21.10.2023

किसने बोला कहने से दुख बँट जाता है यार

गीला कागज़ छूने भर से फट जाता है यार

-Twitter Neelam, @NeelamWrites 


क्या वक्त था--

इंतजार था--

ऐसे शख़्स का, कोई रिश्ता नहीं

फिर भी ख़ास रिश्तेदार था,

कागज़ का एक टुकड़ा,

वो आता था लेके

जिसमें लिपटा होता संसार था।।

-Twitter, Ashok Mushroof, @AMushroof 


कुछ किस्से दिल में, कुछ कागजों पर आबाद रहे.

बताओ कैसे भूलें उसे, जो हर साँस में याद रहे।

-Twitter, ᴍ᭄ꦿⁱˢˢ❦кσмαℓ_❀🌹, @Komalzen 


09.12.2023

मेरी प्यास

संभाल के वो मुझे

सहरा से

तो ले आया,

फिर..

'वो रहा दरिया'

ये कह के

मुझे कागज़ की नाव

पकड़ा दी.

(Twitter, BATOLEBAZI 🏹, @BATOLEBAZI)


हर्फ़ हर्फ़ उसकी सूरत नज़र आती है

कागज़ पे स्याही कुछ ऐसे बिखर जाती है

पन्ना पन्ना भरा रहता है उसके अहसास से

ये हवा छुकर कुछ ऐसे गुजर जाती है

मैं बैठता हूँ साथ जब भी उसकी यादों के

रंगत चेहरे की मेरे और निखर जाती है

#काव्यांश

(Twitter, Ankur Mishra, @AnkurMi25413217)


कोरे कागज़ भी हैं मेरे पास....

अल्फ़ाज़ भी कुछ कम नहीं....

तन्हा ख़्वाब भी हैं बहुत से....

हम-सफ़र ना हम-क़दम कोई....

बेपनाह हसरतें हैं हर वक़्त....

कोई सनम ना ही हमदम कोई....

(Twitter, 𝓫𝓮𝓲𝓷𝓰𝓷𝓪𝓿𝓮𝓮𝓷, @naveen_210)


काग़ज़ के जिस्म पर छलकेगा दर्द

रूह की कूची से लिखी जाएगी ग़ज़ल

(Twitter, Damini, @Daminihere)


तुम्हारे दिसंबर में इतनी

गर्माहाट तो हो-

कि

कोई याद आया-

दिल भले जमा रहे

सर्द सा

पर

कलम कागज़ पर पिघल जाए।।

(Twitter, Kitabganj, @Kitabganj1) 


21.04.2024

हीरों की बस्ती में हमने कांच ही कांच बटोरे हैं

कितने लिखे फ़साने फिर भी सारे कागज़ कोरे है 

(Twitter, अंततः अघोरी, @prashnt_chandel)




21.04.2024

बेटे भी घर छोड़ के जाते हैं..

...

अपनी जान से ज़्यादा..प्यारा लेपटाॅप छोड़ कर...

अलमारी के ऊपर रखा...धूल खाता गिटार छोड़ कर...

जिम के सारे लोहे-बट्टे...और बाकी सारी मशीने...

मेज़ पर बेतरतीब पड़ी...वर्कशीट, किताबें, काॅपियाँ...

सारे यूँ ही छोड़ जाते है...बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!

अपनी मन पसन्द ब्रान्डेड...जीन्स और टीशर्ट लटका...

अलमारी में कपड़े जूते...और गंध खाते पुराने मोजे...

हाथ नहीं लगाने देते थे... वो सबकुछ छोड़ जाते हैं...

बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!

...

जो तकिये के बिना कहीं...भी सोने से कतराते थे...

आकर कोई देखे तो वो...कहीं भी अब सो जाते हैं...

खाने में सो नखरे वाले..अब कुछ भी खा लेते हैं...

अपने रूम में किसी को...भी नहीं आने देने वाले...

अब एक बिस्तर पर सबके...साथ एडजस्ट हो जाते हैं...

बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!

...

घर को मिस करते हैं लेकिन...कहते हैं 'बिल्कुल ठीक हूँ'...

सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले...अब कहते हैं 'कुछ नहीं चाहिए'...

पैसे कमाने की होड़ में...वो भी कागज बन जाते हैं...

...

सिर्फ बेटियां ही नहीं

...

 .    .    .   बेटे भी घर छोड़ जाते हैं..! 

(Copied from facebook)


उतारते हैं कागज़ पे  कहानियां हम ,

उनमें लेकिन अहम किरदार तुम्हारा है ।

Twitter, Mrs.Sarita Ahuja, @SaritaAhuja13) 


लो फिर रिमझिम बरसा पानी

हम कागज की नाव बनाये॥

रफ कॉपी से गुड़िया रानी

तुम भी पन्ना एक निकालो।

बतलाऊँ मैं नाव बनाना

तुम भी अपना काम सँभालो।

मुन्नू तुम वह बबुआ लाओ

इसको नौका में बैठायें।

हम कागज की नाव बनाये॥

(Twitter, @AarTee33 @Lekhni_ @pareeknc7, ~रंजना वर्मा, #कागज़  #लेखनी ✍️) 


नज़्म उलझी हुई है सीने में

मिसरे अटके हुए हैं होंटों पर

लफ़्ज़ काग़ज़ पे बैठते ही नहीं

उड़ते फिरते हैं तितलियों की तरह

कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम

सादा #काग़ज़ पे लिख के नाम तिरा

बस तिरा नाम ही मुकम्मल है

इस से बेहतर भी नज़्म क्या होगी!

-गुलज़ार

#कागज़ #लेखनी ✍️

(Twitter, शब्दपाश - The Trap of Words ☸, @tinu_mythee) 


25.04.2024

काश उनको होती हमारी मोहब्बत कबूल ,,

हो ना सका ऐसा वो थे किसी ओर के प्यार में !!

#दामन में उनके #कागज़ के फूल बेशुमार ,,

हम फूलों से खुशबू की उम्मीद लगा बैठे  !!

(Twitter, सु💙नील, @sunil54gupta) 


#इत्र में तो कभी #प्रेम मे डूबा वो,

अपनेपन का #सहारा हुआ करता था।

#चिट्ठियों का वो दौर महज #कागज़ का नही

यादों का #पिटारा हुआ करता था।

(Twitter, Gaurav Panjeta, @panjeta_gaurav) 


हम हैं नाव #कागज़ की !

जिन्हें दो-चार क्षण उन्मत्त लहरों पर

मचलते देखते हैं सब,

हमें वह तट नहीं मिलता

(कि पाना चाहिए जो,)

न उसको खोजते हैं हम !

~ दुष्यंत कुमार

(Twitter, #काव्य_कृति✍️, @KavyaKriti_) 


शबमान की बूंदे,

शोले बन बरस रही है आज क्यो,

हम बच्चों पे रहम खाओ,

सहम जाते हैं पड़ोस की लड़ाई से भी, हम....

बचपन की ख्वाहिश थी बुलंदियों को छू लू मै 

बरसाती नालो मे भी कूद जाता था अकेला ही 

बना के, नन्ने हाथो से, एक #काग़ज़ की नाव…. 

(Twitter, 𓂀 रीधमा की चुटकी  Ridhama  ɾɐɐᴚ)


कागज नहीं होते तो विवादे नहीं होते।

कागज बिना कोई भी फसादे नहीं होते।।

कागज से कागज को खरीदे भी जाते हैं।

कागज पे इतने सारे कसीदे नहीं होते।।

हर रंग में बिकता है कागज का पुलिंदा।

अब इस तरह के कोई परिंदे नहीं होते।।

~अवधेश्वर प्रसाद सिंह

(Twitter, Bimla Verma 🦋, @BimlaVerma6) 


हो सके, चाँद के सारे दाग हटा दो;

वरना इसे कागज के पीछे छुपा दो.           (Self)


04.05.2024


दैनिक कार्य

गजल

नील गगन में तारों का टिमटिमाना याद है,

रातों को यादों के दीपक जलाना याद है!

चोटियां खींचते बचपन में हम एक दूजे की,

हमे अपने मस्ती भरे वो दिन बिताना याद है!

छूट गई सब अठखेलियां उम्र के बहाव में,

कश्तियां कागज की पानी में चलाना याद है!

मीठे स्वर में कूहके जब कोयलिया बाग में,

रिमझिम बारिशों का मौसम सुहाना याद है !

स्वरचित अर्चना त्यागी

(Facebook, from: Senior Citizen Forum वरिष्ठ नागरिक मंच 


आग उगलती जंग नहीं

आसमां में उड़ने की उमंग है

नन्हें हाथ उड़ाते कागजी जहाज

देते अमन का पैगाम होंगे कामयाब ।

- नरेन्द्र दुबे, #छोटीकविता 


एयर शो आसमा में  हवा के बर-ख़िलाफ़

टक्कर में कम कहां मेरा कागज़ का जहाज़ 


एक कागज़ का जहाज़ बना के

होंसलो का ईंधन भर के

सपनो की परवाज़ लिए

हम चले आसमान से दोस्ती करने 


अपने सपनों को हमने

अपने हौसले से संवारा है..

अपनी किस्मत को हमने

अपनी कुव्वत से निखारा है..

लोग पत्थर भी उछाल नहीं पाते

सूराख करने को जहां..

हमने कागज़ के जहाजों से

उस आसमां को ललकारा है..

~ नन्दन 


जंगी और ख़ूनी जहाज़ों के हुज़ूम में देखिये यूँ थामकर,

इक कागज़ का जहाज़ ले जा रहा था बचपन उड़ा कर! 


*****छोटे-छोटे हाथ मेरे.....,  छोटी-छोटी बाहें हैँ......,  

ऊंची-ऊँची मंजिल मेरी....., लंबी-लंबी राहे हैँ........*****!! 

-  छवि अनुपम   #chavianupam

All from various other facebook posts. however, by mistake, the respected poets name could not be noted by me. The concerned poets are requested to please share their names so that the same may be included against their poems.

One Liners:

(All Copied)


Mathematics is a game played according to certain simple rules with meaningless marks on paper.


Paper is to write things down that we need to remember. Our brains are used to think.


The best ideas come from sitting down with a piece of paper and a pencil.


Paper remains the standard to which digital media can only aspire.